




भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 100वें मिशन की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हो गई। संचार उपग्रह को जीएसएलवी रॉकेट का उपयोग करके अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा।
श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के 100वें मिशन की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हो गई। संचार उपग्रह को जीएसएलवी रॉकेट का उपयोग करके अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो के अध्यक्ष बनने के बाद वी. नारायणन का यह पहला अभियान होगा।
उपग्रह ‘एनवीएस-02‘ बुधवार (29 जनवरी) को सुबह 6.23 बजे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा। यह भारतीय क्षेत्रीय संचार उपग्रह श्रृंखला (नाविक) का दूसरा उपग्रह है। इस उपग्रह की बदौलत भारतीय उपमहाद्वीप के नागरिकों को सटीक स्थान, गति और समय की जानकारी मिलेगी। यह उपग्रह भारतीय सीमा से 1,500 किलोमीटर दूर तक सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होगा। इस उपग्रह मिशन की उल्टी गिनती मंगलवार सुबह 2.53 बजे शुरू हुई।
जीएसएलवी-एफ15 50.9 मीटर लंबा है और इसका उपयोग जीएसएलवी-एफ12 मिशन के बाद किया जाएगा। उपग्रह ‘एनवीएस-01‘ को ‘जीएसएलवी-एफ-12‘ से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया। यह 29 मई 2023 को प्रक्षेपित होगा। नाविक में दूसरी पीढ़ी के पांच उपग्रह शामिल हैं।