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    ‘अवैध निर्माण के मामलों में अदालतों को सख्त रुख अपनाना चाहिए’, बोला सुप्रीम कोर्ट।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पुराने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक निर्माण कार्य में नियमों और विनियमों का पालन किया जाना चाहिए.

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालतों को अनधिकृत निर्माण के मामलों से निपटने में सख्त रुख अपनाना चाहिए और ऐसे ढांचों के न्यायिक नियमितीकरण में शामिल नहीं होना चाहिए.

    जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि कानून को इस तरह का उल्लंघन करने वालों के बचाव में नहीं आना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से दंड से मुक्ति की संस्कृति पनप सकती है’

    कोर्ट ने कहा, ‘इस प्रकार, अदालतों को अवैध निर्माण के मामलों से निपटने में सख्त रुख अपनाना चाहिए और सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के बिना निर्मित भवनों के न्यायिक नियमितीकरण में तत्परता से शामिल नहीं होना चाहिए.’

    बेंच ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत ने अनधिकृत निर्माण से संबंधित बिंदुओं पर विचार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने तीस अप्रैल को पारित आदेश में उस साहस और दृढ़ विश्वास की प्रशंसा की जिसके साथ उच्च न्यायालय ने जनहित में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करते हुए अनधिकृत निर्माण पर कार्रवाई की थी.

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को अनधिकृत निर्माण को नियमित करने के लिए अनुरोध करने का मौका दिया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘हमें इस तरह की दलील में कोई दम नहीं दिखता. जिस व्यक्ति का कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं है, उसे दो मंजिलों का अनधिकृत निर्माण करने के बाद नियमितीकरण के लिए अनुरोध करने की अनुमति नहीं दी जा सकती.’

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला कानून के शासन से संबंधित है और अवैध ढांचे को ध्वस्त किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा, ‘कोई विकल्प नहीं है. न्यायालय वैधानिक बंधनों से मुक्त नहीं हैं. न्याय कानून के अनुसार ही किया जाना चाहिए.’

    सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रत्येक निर्माण कार्य में नियमों और विनियमों का पालन किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘यदि उल्लंघन का कोई मामला न्यायालय के संज्ञान में लाया जाता है तो उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए तथा अनधिकृत निर्माण के दोषी व्यक्ति के प्रति कोई भी नरमी दिखाना अनुचित सहानुभूति दर्शाने के जैसा होगा.’

    कलकत्ता हाईको्र्ट ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे 30 अप्रैल तक परिसर खाली करने के लिए निवासियों को पूर्व नोटिस दें और इसका पालन न करने की स्थिति में, 16 मई, 2025 तक पर्याप्त पुलिस बल तैनात करके उन्हें हटाये जाने का आदेश दिया.

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