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    क्या सोने की कीमतों में आनी वाली है और बड़ी गिरावट, रेशियो अलर्ट दे रहा संकेत!

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    Gold/Silver Ratio फिलहाल 100:1 के स्तर पर पहुंच गया है, इसका मतलब है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए 100 औंस चांदी चाहिए. ऐतिहासिक तौर पर यह अनुपात 70:1 के करीब रहा है.

    गोल्ड की रफ्तार अब धीमी हो रही है. 2025 के अप्रैल महीने में 3,500 डॉलर प्रति औंस की रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद, सोने की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. अभी सोना 3,250 डॉलर पर ट्रेड कर रहा है, जो कि अपने ऑल टाइम हाई से लगभग 250 डॉलर या 7 फीसदी कम है. पिछले 9 महीनों में सोने ने करीब 50 फीसदी की तेजी दिखाई थी, लेकिन अब निवेशकों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये रैली अब थम चुकी है?

    गोल्ड-सिल्वर और गोल्ड-प्लेटिनम रेशियो दे रहे चेतावनी
    रिपोर्ट के अनुसार, Gold/Silver Ratio फिलहाल 100:1 के स्तर पर पहुंच गया है, इसका मतलब है कि एक औंस सोना खरीदने के लिए 100 औंस चांदी चाहिए. ऐतिहासिक तौर पर यह अनुपात 70:1 के करीब रहा है. यानी या तो सोना सस्ता होगा या चांदी महंगी. इसी तरह, Gold/Platinum Ratio भी पिछले दो दशकों में 1 से 2 के बीच रहा है, लेकिन फिलहाल यह 3.5 पर है. इसका मतलब है कि सोने की वैल्यू ओवरस्टेच हो चुकी है और इसमें करेक्शन आ सकता है.

    क्या बदले हैं वो कारण जिन्होंने सोने को उड़ान दी थी?
    2022-23 के जियोपॉलिटिकल तनाव, सेंट्रल बैंकों की भारी खरीदारी और ग्लोबल अनिश्चितता ने सोने की डिमांड को बढ़ाया. लेकिन 2025 में डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित टैरिफ ने आग में घी डालने का काम किया. फरवरी 2025 के बाद से सोने ने और तेज़ी पकड़ी. लेकिन अब ट्रम्प का रवैया नरम होता दिख रहा है. अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड टॉक्स की संभावनाएं बन रही हैं और बाज़ार को उम्मीद है कि टैरिफ स्ट्रक्चर में ढील मिल सकती है. इससे निवेशकों ने सोने से पैसे निकालकर इक्विटी और इंडस्ट्रियल कमोडिटीज की ओर रुख किया है.

    मजबूत डॉलर ने भी डाली सोने पर दबाव
    US Dollar Index हाल ही में 100 के ऊपर पहुंच गया है, जो पिछले तीन सालों का उच्चतम स्तर है. आमतौर पर जब डॉलर मज़बूत होता है, तो सोने की कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसी कारण भी सोने में हालिया गिरावट देखी गई है.

    क्या फिर से चमकेगा सोना?
    भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन अगर वैश्विक अनिश्चितता दोबारा उभरती है, जैसे कि मंदी, ट्रेड वॉर या अमेरिका के फेडरल डेट में संकट, तो सोना फिर से तेज़ी पकड़ सकता है. फिलहाल अमेरिका पर 36 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज़ है, और अगर फेडरल रिजर्व ब्याज दरें घटाता है तो इससे सोने को समर्थन मिल सकता है. US GDP की गिरावट (-0.3 फीसदी), कंज़्यूमर कॉन्फिडेंस में कमी और जून में संभावित ब्याज दर कटौती, ये सभी कारक सोने के पक्ष में जा सकते हैं.

    भारत में सोना 92,820 पर
    भारत में गोल्ड की कीमतें फिलहाल 92,820 प्रति 10 ग्राम हैं, जो कि 22 अप्रैल को बने 1 लाख के रिकॉर्ड से काफ़ी नीचे हैं. ऐसे में शादी-ब्याह के लिए खरीदार और लॉन्ग टर्म निवेशक इसे “डिप में खरीदने” का मौका मान सकते हैं.

    जून में तय होगी सोने की अगली चाल
    १. जून में दो बड़े इवेंट हैं. इन दोनों घटनाओं के बाद सोने की दिशा तय हो सकती है.
    २. 9 जून: ट्रम्प के ‘Reciprocal Tariffs‘ की 90 दिन की डेडलाइन खत्म होगी.
    ३. 17-18 जून: US Federal Reserve की FOMC मीटिंग, जिसमें रेट कट की उम्मीद है.

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