




दिल्ली हाई कोर्ट केंद्र सरकार जुर्माना: जानिए पूरा मामला
दिल्ली हाई कोर्ट ने बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से जुड़े एक केस की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार पर नाराजगी जताई और उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया। यह जुर्माना सेना कल्याण कोष (Army Welfare Fund) में 28 दिनों के भीतर जमा करने का आदेश दिया गया है।
दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश: सेना कोष में जमा हो जुर्माना
यह मामला नीरज गुप्ता बनाम कंट्रोलर ऑफ पेटेंट्स एंड डिज़ाइन्स का है, जिसमें याचिकाकर्ता ने एक पेटेंट से संबंधित आदेश को चुनौती दी थी। अदालत ने पाया कि केंद्र सरकार के वकील ने पहले भी कई बार सुनवाई टालने की मांग की थी।
केंद्र सरकार को कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस सौरभ बनर्जी की पीठ ने कहा, “बार-बार सुनवाई टालना न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग है। यह याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन करता है।”
इसलिए, दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह 20,000 रुपये की राशि **आर्मी सेंट्रल वेलफेयर फंड** में चार सप्ताह के भीतर जमा कराए। इस केस की अगली सुनवाई 6 अगस्त 2025 को होगी।
दिल्ली हाई कोर्ट केंद्र सरकार जुर्माना: क्यों है चर्चा में?
यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार की ओर से बार-बार सुनवाई टालने से कोर्ट का समय बर्बाद होता है और न्याय मिलने में देरी होती है।
क्या होगा अगला कदम?
अब सभी की निगाहें 6 अगस्त की सुनवाई पर टिकी होंगी, जब अदालत देखेगी कि केंद्र सरकार अपने दायित्वों को पूरा करती है या नहीं।
निष्कर्ष: दिल्ली हाई कोर्ट केंद्र सरकार जुर्माना मामले में यह फैसला न्यायिक व्यवस्था की गंभीरता और पारदर्शिता को दर्शाता है। न्याय में देरी को रोकने के लिए यह एक मजबूत संदेश है।