




ग्रीर ने कहा कि पिछले दो दिनों में काफी चर्चा की गई है और ग्राउंड वर्क पर काम किया गया है. अमेरिका का 1.2 ट्रिलियन डॉलर का बड़ा व्यापार घाटा है, इसलिए राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रीय आपात का ऐलान करते हुए टैरिफ लगाया है.
ट्रंप के टैरिफ के चलते दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच जो खटास पैदा हुआ था, वो अब कम होता हुआ दिख रहा है. दोनों देशों के बीच जेनेवा में दो दिनों तक अमेरिका और चीन के बीच चली लंबी व्यापारिक वार्ता के बाद अब इस पर सहमति बन गई है. व्हाइट हाउस की तरफ से इस बारे में रविवार को जानकारी दी गई. व्हाइट हाउस ने बयान जारी करते हुए कहा- यूएस सेक्रेटरी ऑफ ट्रेजरी स्कॉट बेसेंट ने दोनों देशों के बीच की बातचीत को साकारात्मक बताते हुए कहा कि इसके बारे में विस्तृत ब्यौरे सोमवार को जारी किए जाएंगे.
अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक वार्ता पर सहमति
बेसेंट ने कहा कि उन्हें ये जानकारी देते हुए बेहद खुशी हो रही है कि अमेरिका और चीन के बाच महत्वपूर्ण व्यापारिक वार्ता में अहम प्रगति हुई है. यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव एंबैस्डर जेमिसन ग्रीर ने भी कहा कि ये काफी महत्वपूर्ण था कि किसी तरह से फौरन दोनों देशों के बीच सहमति बनी है. उन्होंने कहा क मतभेद वैसा नहीं था, जैसे कि पहले सोचा गया था.
ग्रीर ने कहा कि पिछले दो दिनों में काफी चर्चा की गई है और ग्राउंड वर्क पर काम किया गया है. अमेरिका का 1.2 ट्रिलियन डॉलर का बड़ा व्यापार घाटा है, इसलिए राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रीय आपात का ऐलान करते हुए टैरिफ लगाया है. उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि जो समझौते साझीदार चीन के साथ किए गए हैं, इससे राष्ट्रीय आपातकाल से निकलने में जरूर अमेरिका को मदद मिलेगी.
टैरिफ के बाद बढ़ा था तनाव
गौरतलब है कि अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक वार्ता ऐसे वक्त पर हुई है, जब इससे पहले दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर तनाव चरम पर आ गया था. अमेरिका ने चीन से आयातित सामानों के ऊपर टैरिफ को बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया था. ऐसे में चीन स्थित एपल समेत कई कंपनियों ने अपना कारोबार भारत में शिफ्ट करने का मन बनाया है. अमेरिका और चीन के इस तनाव की वजह से नई दिल्ली को आर्थिक तौर पर सीधा फायदा मिलने का अनुमान जताया जा रहा है.
भारत भी अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ता कर रहा है. हालांकि, आर्थिक मोर्चे पर झटके के इस अंदेशे और भारत को मिलने वाले फायदे के बीच चीन और अमेरिका के इस व्यापारिक समझौते से ऐसी उम्मीद है की बीजिंग को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राहत मिल सकती है.