




महीने दर महीने की बात करें, तो सब्ज़ियों, अंडों, दालों और मांस-मछली के दाम धीमी रफ्तार से बढ़े, लेकिन फल, तेल और दूध की कीमतों में उछाल जारी रहा.
क्या आपको पिछले महीने सब्ज़ियां और कुछ खाने-पीने की चीज़ें थोड़ी सस्ती लगी थीं? अगर हां, तो आपकी समझ एकदम सही है, ताज़ा सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत की खुदरा महंगाई (CPI) अप्रैल में पिछले 6 सालों में सबसे कम सिर्फ 3.16 फीसदी रही.
खाने की चीज़ों के दाम कुछ थमे
अप्रैल 2025 में फूड इंफ्लेशन गिरकर 1.78 फीसदी पर आ गई. मार्च में ये 2.69 फीसदी थी और फरवरी में 3.75 फीसदी. यानी थाली कुछ हद तक सस्ती हुई है. लेकिन सब कुछ नहीं, तेल, फल और दूध जैसी चीज़ें अब भी महंगी बनी हुई हैं.
कुछ चीजें महंगी भी हुईं
महीने दर महीने की बात करें, तो सब्ज़ियों, अंडों, दालों और मांस-मछली के दाम धीमी रफ्तार से बढ़े, लेकिन फल, तेल और दूध की कीमतों में उछाल जारी रहा. कुल मिलाकर, फूड एंड बेवरेजेस में सालाना 2.14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जबकि मार्च में ये 2.88 फीसदी थी.
4 फीसदी से नीचे महंगाई
3 महीने लगातार महंगाई 4 फीसदी से नीचे रही है. ऐसा पिछले 5 सालों में पहली बार हुआ है. Mint के एक पोल में 21 अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया था कि अप्रैल में महंगाई 3.2 फीसदी रह सकती है. जबकि असल आंकड़ा उससे भी थोड़ा नीचे रहा.
अब RBI पर है नजर
अप्रैल में आई इस राहत के बाद अब सभी की नजर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) पर है. पिछले महीने RBI की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने रेपो रेट 6 फीसदी कर दिया था, और अब उम्मीद की जा रही है कि जून में एक और कटौती हो सकती है.
GDP में थोड़ी गिरावट
हाल ही में RBI ने अपने 2025-26 के GDP ग्रोथ अनुमान को 6.7 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है. इसकी वजह बताई गई है वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एशिया पर भारी टैरिफ लगाने की आशंका. RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के मुताबिक, अब फोकस सिर्फ महंगाई कंट्रोल करने से हटकर क्रेडिट ग्रोथ और इकनॉमिक सपोर्ट की ओर जा सकता है.