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    भारत में तेल की डिमांड चीन से भी ज्यादा, Opec की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा।

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    भारत में तेल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. मौजूदा समय में भारत अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 85 परसेंट से अधिक आयात करता है. दूसरे नंबर पर भारत का ही एक पड़ोसी देश है.

    भारत में तेल की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन ओपेक की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 और 2026 में दुनिया में भारत से सबसे ज्यादा तेल की डिमांड आने वाली है. यह चीन से कई दोगुने से भी ज्यादा है. भारत दुनिया में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. यहां दिन-प्रतिदिन उर्जा की मांग भी बढ़ रही है. नतीजतन, भारत में तेल की डिमांड 2024 में 5.55 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से बढ़कर 2025 में 5.74 मिलियन बीपीडी होने का अनुमान है, जो 3.39 परसेंट की बढ़त को दर्शाता है.

    अमेरिका सबसे ज्यादा करता है तेल का आयात
    न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वृद्धि 2026 में भी जारी रहने की उम्मीद है, जो 5.99 मिलियन बीपीडी तक पहुंच जाएगी, जो एक साल में 4.28 परसेंट की वृद्धि को दर्शाता है. इसके विपरीत, चीन से तेल की डिमांड 2025 में केवल 1.5 परसेंट और 2026 में 1.25 परसेंट बढ़ने का अनुमान है. इससे पता चलता है कि दुनिया में तेल की सबसे ज्यादा खपत भारत में हो रही है.

    बावजूद इसके, सबसे ज्यादा तेल मंगाने वाले देशों में अमेरिका टॉप पर है. इसकी 2025 में अनुमानित मांग 20.5 मिलियन बीपीडी होगी, उसके बाद चीन 16.90 मिलियन बीपीडी और 2026 में 17.12 मिलियन बीपीडी के साथ दूसरे स्थान पर रहेगा. तेल की तेजी से बढ़ रही खपत को देखते हुए भारत इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर है. 2025 और 2026 में अमेरिका से तेल की डिमांड में क्रमश: 0.09 और 0.6 परसेंट की मामूली वृद्धि होने की संभावना है.

    भारत इतना परसेंट तेल करता है इम्पोर्ट
    ओपेक के लगाए गए पिछले अनुमानों के मुताबिक, 2025 और 2026 में पूरी दुनिया में तेल की डिमांड कुल मिलाकर 1.3 मिलियन बीपीडी बढ़ने का अनुमान है. ओपेक ने कहा, भारत की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ रही है. मजबूत आर्थिक विकास की मौजूदा गति जारी रहने की उम्मीद है, जो कि उपभोक्ता खर्च, निवेश और प्रमुख क्षेत्रों के लिए सरकारी समर्थन से प्रेरित है.

    भारत वर्तमान में अपनी कच्चे तेल की आवश्यकता का 85 परसेंट से अधिक आयात करता है. इसके बाद रीफाइनिंग के जरिए उसे पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधनों में बदला जाता है. ओपेक ने बताया कि मार्च में भारत का कच्चा तेल आयात रिकॉर्ड हाई 5.4 मिलियन बीपीडी पर पहुंच गया, जो एक महीने में 5 परसेंट से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है.

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