




भारत-जापान की साझेदारी से चंद्रयान-5/LOPEX मिशन को मिली रफ्तार, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर होगा ऐतिहासिक अन्वेषण।
नई दिल्ली/बेंगलुरु: भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने चंद्रयान-5 मिशन की तैयारियां तेज कर दी हैं। यह मिशन LOPEX (Lunar Polar Exploration) प्रोग्राम के तहत भारत और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के बीच साझा परियोजना है, जिसे लेकर 13-14 मई 2025 को बेंगलुरु में TIM-3 बैठक आयोजित की गई।
इसरो के अनुसार, यह मिशन 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करेगा। चंद्रयान-5, भारत की अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष योजनाओं में से एक होगा।
पाकिस्तान, चीन, तुर्किए और अजरबैजान को झटका?
भारत के इस मिशन को न सिर्फ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि भू-राजनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को करारा जवाब देने के बाद, भारत की यह चंद्र-यात्रा चीन, पाकिस्तान, तुर्किए और अजरबैजान जैसे विरोधी राष्ट्रों को बड़ा झटका दे सकती है।
चंद्रयान-5 मिशन की मुख्य बातें:
१. स्थान: चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव (Permanently Shadowed Region – PSR)
२. साझेदारी: ISRO (भारत), JAXA (जापान), ESA (यूरोप), NASA (अमेरिका)
३. प्रक्षेपण यान: जापान का H3-24L लॉन्च व्हीकल
४. लैंडर: ISRO द्वारा निर्मित
५. रोवर: जापान की Mitsubishi Heavy Industries (MHI) द्वारा निर्मित
६. वैज्ञानिक उपकरण: ISRO, JAXA, ESA, NASA द्वारा संयुक्त रूप से विकसित
मिशन का उद्देश्य:
१. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जल और वाष्पशील तत्वों का पता लगाना
२. इन-सीटू विश्लेषण (In-situ Analysis)
३. भविष्य के मानव मिशनों की तैयारी
४. अंतरराष्ट्रीय सहयोग द्वारा तकनीकी क्षमता का विस्तार
अब तक की तकनीकी उपलब्धियां
बैठक के दौरान ISRO के वैज्ञानिक सचिव एम गणेश पिल्लई ने दोनों टीमों को बधाई दी और सहयोग को “वैज्ञानिक सफलता की कुंजी” बताया। चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और हाल ही में सफल चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को आगे बढ़ाते हुए यह मिशन चंद्रयान-4 (Sample Return Mission) के बाद अगला बड़ा पड़ाव होगा।