




अमेरिका-चीन-रूस की नीतियों ने बढ़ाई वैश्विक अनिश्चितता।
दुनिया की तीन बड़ी शक्तियां — अमेरिका, चीन और रूस — आज अस्थिरता के दौर से गुजर रही हैं। अमेरिका में ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति, चीन की सख्त जियोपॉलिटिक्स और रूस की सैन्य आक्रामकता ने वैश्विक निवेशकों को परेशान कर दिया है। अब निवेशक सुरक्षित और स्थिर विकल्प की तलाश में हैं — और वह विकल्प बन सकता है भारत।
अमेरिका से निवेश पलायन की आशंका
१. अमेरिका में विदेशी निवेशकों के पास 31 ट्रिलियन डॉलर का निवेश है (शेयर, बॉन्ड और प्रॉपर्टी में)
२. यदि सिर्फ 10% निवेश भी बाहर आता है, तो यह 3–4 ट्रिलियन डॉलर होगा
३. ट्रंप की नीति और विश्व में बनते तनाव ने निवेशकों को डरा दिया है
चीन और रूस भी अब सुरक्षित नहीं
१. रूस की आक्रामक सैन्य नीति (यूक्रेन, जॉर्जिया, क्रीमिया) ने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया
२. चीन में अब ‘नियमों का अचानक बदल जाना’ और जियोपॉलिटिकल खतरे चिंता का विषय बन गए हैं
३. कई कंपनियां वियतनाम, मेक्सिको और भारत की ओर रुख कर रही हैं
भारत: अब निवेशकों की नई पसंद?
भारत को क्यों मिल सकता है फायदा:
कारण विवरण
📈 स्थिर राजनीतिक माहौल वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत में स्थायित्व
💰 तेज़ आर्थिक विकास GDP वृद्धि दर 6–7%
📊 बड़ा शेयर और बॉन्ड बाज़ार स्टॉक मार्केट: $4 ट्रिलियन, बॉन्ड मार्केट: $2.5 ट्रिलियन
🏭 उत्पादन का केंद्र Apple जैसी कंपनियां पहले से ही भारत में निर्माण कर रही हैं
🔄 FDI-Friendly नीतियाँ मेक इन इंडिया, PLI स्कीम, और Ease of Doing Business में सुधार
भारत को कितना निवेश मिल सकता है?
१. यदि अमेरिका से सिर्फ 5% निवेश (200 अरब डॉलर) भारत आता है, तो यह भारत की GDP में बड़ा उछाल ला सकता है
२. अभी भारत का विदेशी निवेश GDP का मात्र 2.5% है, जबकि यह 5% तक होना चाहिए
३. इस निवेश से इन्फ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स और गवर्नमेंट बॉन्ड्स में नई जान आएगी।
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