




IMF की रिपोर्ट में भारत की GDP 4.28 ट्रिलियन डॉलर से अधिक, तीसरी अर्थव्यवस्था बनने से अब जर्मनी सिर्फ एक कदम दूर।
नई दिल्ली: भारत ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक और बड़ी छलांग लगाई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 4.286 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है। इसके साथ ही भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और जल्द ही जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की ओर अग्रसर है।
नीति आयोग के CEO बीवीआर सुब्रमण्यम ने इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए कहा कि यह कोई अनुमान नहीं बल्कि IMF का आधिकारिक डेटा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यही गति बनी रही तो अगले 2-3 वर्षों में भारत जर्मनी को पीछे छोड़ देगा।
दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्थाएं (2025-26 अनुमान):
१. अमेरिका – 27.72 ट्रिलियन डॉलर
२. चीन – 17.79 ट्रिलियन डॉलर
३. जर्मनी – 4.52 ट्रिलियन डॉलर
४. भारत – 4.286 ट्रिलियन डॉलर
५. जापान – 4.186 ट्रिलियन डॉलर
आम आदमी को इससे क्या फायदा?
भारत की जीडीपी के 4 ट्रिलियन डॉलर पार करने का अर्थ है कि देश में उत्पादन, सेवाएं और व्यापार का कुल मूल्य इस आंकड़े तक पहुंच चुका है। इसका सीधा असर आम लोगों की आर्थिक स्थिति, रोज़गार के अवसर, जीवन स्तर और निवेश के अवसरों पर पड़ता है।
१. नौकरियों में वृद्धि: जब अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ती है, तो रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं।
२. निवेश में इजाफा: वैश्विक निवेशक भारत की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे आर्थिक गतिविधियां और तेज होती हैं।
३. उपभोक्ता मांग में वृद्धि: देश में खरीदारी और खपत बढ़ती है, जिससे उद्योगों को फायदा होता है।
४. जीवन स्तर में सुधार: प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि और सामाजिक सेवाओं तक बेहतर पहुंच मिलती है।
क्यों है ये उपलब्धि खास?
भारत को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने में 60 साल लगे, लेकिन उसके बाद ग्रोथ तेज़ रही:
१. 2014: 2 ट्रिलियन डॉलर
२. 2021: 3 ट्रिलियन डॉलर
३. 2025: 4.286 ट्रिलियन डॉलर
जब दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाएं मंदी या धीमी गति से बढ़ रही हैं, भारत 6.2% की दर से आगे बढ़ रहा है। वहीं, जापान जैसे देश सिर्फ 0.5% की रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं।
अब भी हैं चुनौतियां:
हालांकि यह एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन भारत के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां भी हैं:
१. आय में असमानता
२. बेरोजगारी
३. प्रति व्यक्ति आय में कमी
४. आयात पर निर्भरता
इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार को रणनीतिक सुधार करने होंगे।
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