




2027 में जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होंगे, वहीं उसी समय जातीय जनगणना भी शुरू हो सकती है। क्या यह संयोग है या सियासी रणनीति? जानिए विस्तार से।
2027 में एक साथ दो बड़ी प्रक्रिया: यूपी चुनाव और जातीय जनगणना
भारत में वर्ष 2021 से लंबित जनगणना प्रक्रिया अब वर्ष 2027 में शुरू हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, 1 मार्च 2027 से देशभर में जनगणना की शुरुआत होगी, जिसमें जातियों की गिनती भी शामिल रहेगी। यह लगभग 96 साल बाद होगा जब भारत में जातीय आधार पर गणना की जाएगी।
सबसे अहम बात यह है कि उसी समय उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 के लिए हो सकते हैं। यानी जब यूपी में मतदान चल रहा होगा या अंतिम चरण में होगा, ठीक उसी दौरान जातीय जनगणना भी शुरू हो जाएगी।
क्यों महत्वपूर्ण है यह समय?
वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो:
१. 2017 में मतदान 17 जनवरी से 8 मार्च तक चला और 19 मार्च को सरकार बनी।
२. 2022 में मतदान 14 जनवरी से 7 मार्च तक चला और योगी आदित्यनाथ ने 25 मार्च को शपथ ली।
इस पैटर्न को देखें तो 2027 में भी जनवरी से मार्च के बीच चुनाव होने की पूरी संभावना है। ऐसे में 1 मार्च से शुरू हो रही जातीय जनगणना का राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
जातीय जनगणना को लेकर राजनीतिक दलों की स्थिति
समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी जैसे विपक्षी दल लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं।
बीजेपी के सहयोगी दल जैसे सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस) भी इसका समर्थन करते रहे हैं।
बीजेपी के भीतर भी कुछ वर्ग जातीय जनगणना की वकालत करते हैं, हालांकि पार्टी का रुख आधिकारिक रूप से स्पष्ट नहीं रहा।
हिमालयी राज्यों में जनगणना पहले
सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में जनगणना अक्टूबर 2026 में ही कर ली जाएगी। बाकी राज्यों में यह प्रक्रिया 1 मार्च 2027 से आरंभ होगी।
चुनाव आयोग और समयसीमा
चुनाव आयोग को विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने के 6 महीने के भीतर कभी भी चुनाव कराने का अधिकार है। ऐसे में यदि दिसंबर 2026 के अंत या जनवरी 2027 की शुरुआत में चुनाव की घोषणा होती है, तो जनगणना शुरू होने तक नई सरकार का गठन नहीं हो सकेगा।
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