




अमेरिका में जनरल असीम मुनीर और डोनाल्ड ट्रंप की बैठक के बाद उठे सवाल, भारत ने फिर दोहराई ‘मध्यस्थता से इनकार’ की नीति।
वाशिंगटन: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया गया। यह आमंत्रण एक औपचारिक कूटनीतिक बैठक से अधिक, एक राजनीतिक संदेश माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात की पृष्ठभूमि में मुनीर द्वारा ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश किया जाना प्रमुख कारण रहा।
व्हाइट हाउस में ‘लंच डिप्लोमेसी’
18 जून 2025 को हुई इस बंद कमरे की बैठक में ट्रंप और मुनीर के बीच भारत-पाक संबंधों, कश्मीर मसले और सुरक्षा चिंताओं को लेकर विचार-विमर्श हुआ। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एना केली ने कहा कि यह बैठक ट्रंप की उस “महत्वपूर्ण भूमिका” की मान्यता थी जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को टालने का दावा किया है।
ट्रंप का दावा – “मैंने भारत-पाक युद्ध रोका”
मीडिया से बातचीत में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा: “मैंने एक युद्ध रोका… मुझे पाकिस्तान से प्यार है। मोदी बहुत शानदार व्यक्ति हैं। मैंने कल रात उनसे बात की। हम भारत के साथ व्यापार समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं।”
ट्रंप के अनुसार, भारत और पाकिस्तान युद्ध के नजदीक थे, लेकिन मोदी और मुनीर के साथ संवाद कर उन्होंने इस युद्ध को रोका।
भारत ने सख्ती से नकारा अमेरिका का प्रस्ताव
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि मई 2025 में जो युद्धविराम हुआ, वह दोनों देशों की सैन्य अधिकारियों की आपसी बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष या अमेरिका की मध्यस्थता का।
सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को कनाडा से लौटते समय अमेरिका आने का न्योता दिया था, लेकिन भारत ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। कारण साफ था — अमेरिका फिर से भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का एजेंडा उठा सकता था, जिससे भारत ने कूटनीतिक रूप से परहेज किया।
ट्रंप की नोबेल राजनीति?
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, ट्रंप इस मुलाकात का उपयोग नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अपनी छवि गढ़ने में कर रहे हैं। हालांकि भारत ने इस तरह की किसी भी सिफारिश को खारिज करते हुए ट्रंप की भूमिका को गैर-आधिकारिक और अति-राजनीतिक करार दिया है।
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