




परिवारिक सहयोग और आत्मनिर्भरता की भावना से लातूर का एक युवा बना “प्रथम सिक्युरिटी गार्डस & फैसिलिटी सर्विसेस” का सफल उद्यमी।

Success Story: महाराष्ट्र के लातूर जिले से ताल्लुक रखने वाले सुनील शिवराम धोत्रे ने जिस तरह सीमित संसाधनों और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच अपने व्यवसाय की शुरुआत की और सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचे, वह देश के हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षित सुनील जी का यह सफर आसान नहीं रहा, लेकिन उनके दृढ़ निश्चय, परिवार का सहयोग और आत्मनिर्भर बनने की चाहत ने उन्हें एक सफल उद्यमी बना दिया।
कैसे शुरू हुई यह यात्रा?
कॉलेज के दिनों में सुनील जी के शिक्षक और गुरु उन्हें हमेशा यह सिखाते थे कि नौकरी की बजाय खुद का व्यवसाय शुरू करना ज़्यादा सार्थक है। पढ़ाई पूरी होने के बाद जब उन्होंने सरकारी नौकरियों की तैयारी की, तब उन्हें महसूस हुआ कि उनका मन कुछ अलग करने में ज्यादा रुचि रखता है।
लातूर जैसे क्षेत्र में जहाँ रोजगार बहुत काम उपलब्ध था। इसलिए पुणे में जॉब की तलाश में आ गए। और बहोत सारी सिक्युरिटी एजेंसीज में काम किया। वहां से पुणे जाकर उन्होंने ‘प्रथम सिक्युरिटी गार्डस & फैसिलिटी सर्विसेस‘ में ₹38,000 की तनख्वाह पर नौकरी शुरू की। लेकिन यह नौकरी उन्हें आत्मसंतुष्टि नहीं दे पाई।
सपना था खुद का व्यवसाय शुरू करने का
तभी उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया। पूंजी नहीं थी, लेकिन अनुभव था। इस कठिन समय में उनकी पत्नी श्रीमती लक्ष्मी सुनील धोत्रे ने अपने गहने और मंगलसूत्र तक गिरवी रख दिए ताकि उनके सपनों को उड़ान मिल सके।
आज सुनील जी की कंपनी ‘प्रथम सिक्युरिटी गार्डस & फैसिलिटी सर्विसेस’ महाराष्ट्र के सोलापुर, पुणे और अन्य जिलों में अपनी छाप छोड़ चुकी है।
प्रेरणा हर युवा के लिए
सुनील धोत्रे का मानना है कि युवा केवल नौकरियों की तलाश में न भटके, बल्कि स्वरोजगार और उद्यमिता की ओर भी आगे बढ़ें। इससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे और समाज में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
उनका स्पष्ट संदेश है:
“रोजगार तैयार करो और दुसरो को भी दो – भारत निर्माण में योगदान दो।”
ऐसी ही देश और दुनिया की बड़ी खबरों के लिए फॉलो करें: www.samacharwani.com