




1999 में एक छोटे कमरे और एक कंप्यूटर से शुरू हुआ सफर, आज बना उत्तर भारत का प्रमुख कंप्यूटर शिक्षण संस्थान – ICIT कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर

प्रेरणा की शुरुआत: एक दोस्त की सलाह और पिता की अनुमति
1991 का दौर था, जब कंप्यूटर शिक्षा भारत में अपने शुरुआती कदम रख रही थी। गोंडा निवासी श्री.संतोष कुमार गुप्ता ने लखनऊ में एक डिप्लोमा कोर्स के लिए नामांकन लिया लेकिन पहले ही दिन अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़ाई के कारण निराश होकर लौट आए। फिर गोंडा में ही एक कंप्यूटर सेंटर से PGDCPM कोर्स की शुरुआत की और यहीं से उनके शिक्षण और तकनीकी करियर की नींव रखी गई।
शिक्षक बने छात्र
संस्थान में शिक्षक के स्थानांतरण के बाद उन्हें खुद पढ़ाने का अवसर मिला और वहीं से एक प्रशिक्षक के रूप में उनकी यात्रा शुरू हुई। निरंतर अध्ययनकरते हुए उन्होंने MCA, MSc IT, MBA (IT), PGDIT सहित कई तकनीकी व शैक्षणिक डिग्रियाँ प्राप्त कीं।
संस्थान की स्थापना और संघर्ष
दिसंबर 1999 में ICIT कंप्यूटर एजुकेशन सेंटर की स्थापना की गई। एक कंप्यूटर, 15 कुर्सियाँ और एक छोटी सी कक्षा से उन्होंने शुरुआत की।
१. स्वयं प्रचार सामग्री तैयार करते
२. पोस्टर खुद साइकल से चिपकाते
३. और विद्यार्थियों के घर-घर जाकर जानकारी देते
४. धीरे-धीरे छात्रों की संख्या बढ़ती गई और उनका शिक्षण प्रभावी बनता गया।
वर्तमान में ICIT की उपलब्धियाँ (2025)
१. 100+ आधुनिक कंप्यूटर सिस्टम
२. 25+ अनुभवी प्रशिक्षक
३. 30,000+ प्रशिक्षित छात्र, हजारों की सरकारी और निजी क्षेत्रों में नियुक्ति
४. NIELIT और UPDESCO से मान्यता प्राप्त
कोर्सेज: O Level, CCC, Python, Web Designing, IoT, Cyber Security, Tally Prime आदि
गोंडा ही नहीं, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच जैसे जिलों के छात्र भी यहाँ अध्ययन हेतु आते हैं।
पारिवारिक सहयोग और प्रेरणा
उनकी सफलता में उनके माता-पिता, भाई श्री.सत्य नारायण गुप्ता और धर्मपत्नी श्रीमती उषा गुप्ता का योगदान उल्लेखनीय है। वर्तमान में उनकी पत्नी संस्थान की उपाध्यक्ष के रूप में प्रशासनिक कार्यों की देखरेख कर रही हैं।
तीनों पुत्र:
संस्कार गुप्ता – USA से MS (Computer Science) पूर्ण कर New Jersey में कार्यरत
स्वयम गुप्ता – DU से B.Com (Hons.) एवं CAT की तैयारी
शिवांश गुप्ता – कक्षा 7वीं में अध्ययनरत
श्री.संतोष कुमार गुप्ता की कहानी दर्शाती है कि इच्छाशक्ति, समर्पण और लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता से कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र में परिवर्तन ला सकता है। उनका सपना है कि गोंडा व आस-पास के युवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त बनाकर उन्हें आत्मनिर्भर और रोजगारक्षम बनाया जाए।
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