




मराठी अस्मिता के लिए 20 साल बाद एक मंच पर राज और उद्धव ठाकरे, वरली डोम में हो रही ऐतिहासिक विजय सभा।
राज-उद्धव ठाकरे: महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन ऐतिहासिक बनने जा रहा है। शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे 20 साल बाद एक बार फिर मराठी अस्मिता के मुद्दे पर एक साथ मंच साझा करने जा रहे हैं। यह रैली राजनीतिक से ज्यादा मराठी संस्कृति और भाषा की एकजुटता का प्रतीक बताई जा रही है, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थों से कोई इनकार नहीं कर रहा है।
आज सुबह 10 बजे मुंबई के वरली स्थित एनएससीआई डोम में ‘विजय सभा’ का आयोजन किया जा रहा है। त्रिभाषा सूत्र लागू करने के फैसले का दोनों नेताओं ने मिलकर विरोध किया था, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को स्थगित कर दिया। अब इसे मराठी एकजुटता की जीत के तौर पर मनाया जा रहा है।
रैली में हर मराठी प्रेमी को आमंत्रण
इस विजय सभा में किसी भी राजनीतिक पार्टी का झंडा लाने की अनुमति नहीं है। आयोजकों ने मराठी प्रेमियों, साहित्यकारों, लेखकों, कवियों, शिक्षकों, संपादकों और कलाकारों सहित समाज के सभी वर्गों से मराठी अस्मिता के नाम पर जुड़ने की अपील की है।
रैली की तैयारियां और व्यवस्था
एनएससीआई डोम में लगभग 7 से 8 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा आयोजन स्थल के अंदर और बाहर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस सभा को देख सकें। वाहन पार्किंग के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं:
१. डोम की बेसमेंट में 800 गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था है।
२. तटीय सड़क के पुल के नीचे दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग रखी गई है।
३. महालक्ष्मी रेसकोर्स में बड़ी गाड़ियों और बसों के लिए पार्किंग का इंतजाम किया गया है।
राजनीतिक समीकरणों पर सबकी नजरें
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि आगामी स्थानिय नगरनिगम के चुनाव दोनों ठाकरे नेताओं के लिए राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई है। ऐसे में विरोधी दलों का कहना है कि यह मराठी अस्मिता की लड़ाई कम और नगरनिगम चुनाव की रणनीति ज्यादा है।
अतीत में कब-कब साथ आए ठाकरे बंधु?
पिछले 20 सालों में ठाकरे बंधु कई निजी अवसरों पर साथ आए हैं, लेकिन राजनीतिक मंच पर साथ आना दुर्लभ रहा है। कुछ प्रमुख मौके:
१. 2012: उद्धव के अस्पताल में भर्ती होने पर राज की मुलाकात।
२. 2015: उद्धव के फोटोग्राफी एग्जीबिशन में राज ठाकरे।
३. 2019: अमित ठाकरे की शादी में उद्धव की उपस्थिति।
४. 2025: इस वर्ष फरवरी में एक सरकारी अधिकारी के बेटे की शादी में दोनों शामिल हुए थे।
2014 और 2017 के दौरान शिवसेना-मनसे के गठबंधन की चर्चाएं जोर पकड़ चुकी थीं, लेकिन यह तय नहीं हो पाया था कि कौन किसे समर्थन देगा। राज ठाकरे ने कई बार आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने कभी स्पष्ट रुख नहीं दिखाया।
क्या राजनीतिक गठबंधन संभव है?
आज की रैली से दोनों के बीच राजनीतिक गठबंधन के कयास फिर तेज हो गए हैं। हालांकि अभी तक किसी औपचारिक राजनीतिक गठजोड़ की घोषणा नहीं हुई है। आने वाले समय में स्थानिय नगरनिगम के चुनाव में क्या दोनों साथ लड़ेंगे या फिर यह केवल मराठी अस्मिता के मंच तक सीमित रहेगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
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