




यूएई, कुवैत, बहरीन और ब्रुनेई जैसे देशों में आयकर नहीं लिया जाता, फिर भी इनकी इकोनॉमी तेल, टूरिज्म और फाइनेंस सेक्टर से मजबूत बनी हुई है।
नई दिल्ली: टैक्स किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का आधार होता है, जिससे सरकारें अपने विकास कार्यों और जनकल्याण योजनाओं को अमल में लाती हैं। लेकिन दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां के नागरिकों को अपनी कमाई का एक भी पैसा सरकार को टैक्स के रूप में नहीं देना पड़ता।
ऐसे देशों की सूची में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), कुवैत, बहरीन, ब्रुनेई, कतर, ओमान, मोनाको, और द बहामास जैसे नाम शामिल हैं। तो सवाल उठता है — जब टैक्स नहीं लिया जाता, तो फिर इन देशों की सरकारें चलती कैसे हैं?
UAE और कुवैत: तेल पर टिकी पूरी अर्थव्यवस्था
UAE दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिना जाता है और यहां के नागरिकों को आयकर (Income Tax) या कोई डायरेक्ट टैक्स नहीं देना होता। देश की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल, टूरिज्म और रियल एस्टेट पर आधारित है, जो सरकार को पर्याप्त राजस्व प्रदान करते हैं।
इसी तरह, कुवैत भी टैक्स-फ्री देश है जहां की सरकार तेल निर्यात से होने वाली भारी कमाई से नागरिकों की बुनियादी जरूरतें और सब्सिडी सुनिश्चित करती है।
बहरीन और सऊदी अरब: मजबूत बैंकिंग और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली
बहरीन में कोई प्रत्यक्ष कर नहीं लिया जाता, लेकिन फाइनेंशियल सेक्टर और बैंकिंग सिस्टम इसकी मजबूत अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
सऊदी अरब में भी आम नागरिकों से आयकर नहीं लिया जाता, हालांकि वहां वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) जैसे अप्रत्यक्ष कर लागू हैं।
ब्रुनेई, कतर और ओमान: टैक्स-फ्री लेकिन आत्मनिर्भर
ब्रुनेई जैसे इस्लामिक देश में न सिर्फ टैक्स माफ है, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाएं मुफ्त हैं। यह संभव हो पाया है तेल और गैस से होने वाली आय की वजह से।
कतर और ओमान भी उन देशों में शामिल हैं जहां इनकम टैक्स का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन पेट्रोलियम सेक्टर की कमाई से अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है।
मोनाको और द बहामास: टैक्स फ्री लेकिन टूरिज्म और फाइनेंस पर निर्भर
मोनाको यूरोप का एक ऐसा देश है जहां टैक्स नहीं लिया जाता लेकिन यह देश हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स का पसंदीदा ठिकाना है। वहीं, द बहामास की अर्थव्यवस्था टूरिज्म और विदेशी निवेश से चलती है।
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