




News Correspondent/ Divya Solanki Mumbai, Report
भारतीय सिनेमा की दुनिया में जब भी बहुमुखी प्रतिभा की बात आती है, मृणाल ठाकुर का नाम अवश्य सामने आता है। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और अभिनय कौशल के बल पर वह मुकाम हासिल किया है, जहाँ हर निर्देशक और निर्माता उन्हें अपनी फिल्मों का हिस्सा बनाना चाहता है।
आज के दौर में जहाँ “पैन-इंडिया” शब्द अक्सर मार्केटिंग का एक साधन बनकर रह गया है, वहीं मृणाल ठाकुर ने इसे अपनी मेहनत और कामयाबी से असली मायनों में साबित किया है।
फिल्मी सफर की शुरुआत से आज तक
मृणाल ठाकुर का करियर टीवी से शुरू हुआ था। धीरे-धीरे उन्होंने बड़े पर्दे की ओर कदम बढ़ाए और अपने अभिनय कौशल से दर्शकों को चौंका दिया। “लव सोनिया” जैसी संवेदनशील फिल्म से उन्होंने यह दिखा दिया कि वह कठिन और चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने से नहीं डरतीं।
इसके बाद “सुपर 30” में ऋतिक रोशन के साथ उनके अभिनय की खूब सराहना हुई। “जर्सी” में शाहिद कपूर के साथ उनकी जोड़ी को भी दर्शकों ने खूब पसंद किया। इन फिल्मों ने साबित किया कि वह बॉलीवुड में केवल ग्लैमरस भूमिकाओं तक सीमित नहीं रहना चाहतीं, बल्कि हर किरदार में खुद को ढालने की कला रखती हैं।
साउथ सिनेमा में धमाकेदार एंट्री
जहाँ बॉलीवुड में मृणाल ने अपनी पहचान मजबूत की, वहीं साउथ सिनेमा ने उन्हें नई ऊँचाई दी। “सीता रामम” जैसी फिल्म ने उन्हें रातों-रात साउथ के दर्शकों के दिलों में बसा दिया। इस फिल्म में उनकी मासूमियत और गहराई से निभाए गए किरदार ने उन्हें नए दर्शकों से जोड़ा।
इसके बाद “हाय नन्ना” और “द फैमिली स्टार” जैसी फिल्मों ने साबित किया कि मृणाल सिर्फ हिंदी सिनेमा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वह साउथ इंडस्ट्री की भी विश्वसनीय और लोकप्रिय अभिनेत्री बन चुकी हैं।
दोनों इंडस्ट्री में अलग पहचान
जहाँ बॉलीवुड में मृणाल को एक प्रयोगधर्मी और मिलनसार अदाकारा के तौर पर देखा जाता है, वहीं साउथ सिनेमा में वह पुरानी फिल्मों की खूबसूरती और आज के दौर की अपील का अनोखा संगम पेश करती हैं।
बहुत कम अभिनेत्रियाँ दोनों ही इंडस्ट्री में इतनी सहजता से काम कर पाती हैं। मृणाल का सफर यह दिखाता है कि वह केवल “पैन-इंडिया” का चेहरा नहीं, बल्कि दोनों उद्योगों के बीच सेतु का काम कर रही हैं।
फिल्म चयन में समझदारी
मृणाल ठाकुर की फिल्मों का चयन उनके करियर की सबसे बड़ी खासियत है। वह केवल बड़े बजट या स्टार-ओरिएंटेड फिल्मों में ही काम नहीं करतीं, बल्कि ऐसे विषयों का हिस्सा बनती हैं जो समाज से जुड़े हों और दर्शकों पर गहरा असर छोड़ें।
“लव सोनिया” जैसी फिल्म उनके सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाती है, जबकि “सीता रामम” और “हाय नन्ना” जैसी फिल्में उनके रोमांटिक और भावनात्मक पहलू को सामने लाती हैं।
आने वाली फिल्में और उम्मीदें
“सन ऑफ सरदार 2” में अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीतने के बाद मृणाल ठाकुर अब “डकैत” और “हाय जवानी तो इश्क होना है” जैसी फिल्मों में नज़र आने वाली हैं। इन फिल्मों को लेकर दर्शकों में पहले से ही उत्सुकता है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले वर्षों में मृणाल बॉलीवुड और साउथ दोनों ही जगह और भी बड़े मुकाम हासिल करने वाली हैं।