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    INDIA गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए बी. सुदर्शन रेड्डी को बनाया उम्मीदवार, राजनीतिक हलचल तेज

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    भारत की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब INDIA गठबंधन (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस) ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम आधिकारिक रूप से घोषित कर दिया। इस फैसले ने न केवल संसद और राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है, बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एक नए सियासी समीकरण की संभावना भी खड़ी कर दी है।

    बी. सुदर्शन रेड्डी कौन हैं?

    बी. सुदर्शन रेड्डी भारतीय न्यायपालिका के उन चुनिंदा नामों में शामिल हैं जिन्होंने अपने निष्पक्ष और दृढ़ निर्णयों के लिए पहचान बनाई।

    • वे सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के पूर्व न्यायाधीश रहे हैं।

    • न्यायपालिका के दौरान उन्होंने संविधान, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय से जुड़े कई अहम मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए।

    • उनका व्यक्तित्व एक सख्त लेकिन निष्पक्ष न्यायविद् का माना जाता है।

    राजनीतिक तौर पर वे किसी पार्टी से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े नहीं रहे, इसलिए विपक्षी गठबंधन ने उन्हें “स्वच्छ छवि और निष्पक्ष सोच वाले उम्मीदवार” के रूप में जनता के सामने पेश करने का निर्णय लिया है।

    INDIA गठबंधन का रणनीतिक दांव

    INDIA गठबंधन, जिसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, DMK समेत दर्जनों विपक्षी दल शामिल हैं, लंबे समय से यह प्रयास कर रहा था कि एक सर्वमान्य और सशक्त उम्मीदवार सामने लाया जाए।

    बी. सुदर्शन रेड्डी को चुनने के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं:

    1. स्वच्छ छवि – न्यायपालिका से आने के कारण उनका सार्वजनिक रिकॉर्ड बेदाग है।

    2. सर्वस्वीकृत व्यक्तित्व – किसी भी क्षेत्रीय या वैचारिक धड़े का समर्थन पाने में सक्षम।

    3. राजनीतिक संतुलन – गठबंधन का प्रयास है कि सत्ता पक्ष के मुकाबले उन्हें “निष्पक्षता की पहचान” के रूप में पेश किया जाए।

    4. दक्षिण भारत से प्रतिनिधित्व – रेड्डी आंध्र प्रदेश से आते हैं, जिससे गठबंधन दक्षिण भारत में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहता है।

    सत्ता पक्ष की प्रतिक्रिया

    सत्तारूढ़ दल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने अभी तक अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। हालांकि भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी किसी अनुभवी नेता या पूर्व केंद्रीय मंत्री का नाम आगे कर सकती है।

    • NDA की ओर से कहा गया है कि “विपक्ष का उम्मीदवार उनका निजी चुनाव है, लेकिन अंतिम फैसला जनता और सांसदों की राय से होगा।”

    • राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि NDA अब ऐसे चेहरे की तलाश करेगा जो रेड्डी की निष्पक्ष और न्यायिक पृष्ठभूमि के बराबर टक्कर दे सके।

    विपक्ष की एकजुटता का इम्तिहान

    बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम घोषित कर INDIA गठबंधन ने भले ही विपक्षी एकता का संदेश दिया हो, लेकिन यह भी सच है कि कई क्षेत्रीय दलों के बीच अभी भी असहमति बनी हुई है।

    • कुछ क्षेत्रीय पार्टियाँ चाहती थीं कि उपराष्ट्रपति पद के लिए एक राजनीतिक नेता को ही उम्मीदवार बनाया जाए।

    • हालांकि, ज्यादातर दलों ने अंततः न्यायपालिका से आने वाले निष्पक्ष चेहरे पर सहमति जताई।

    इससे गठबंधन की मजबूती का संदेश तो गया है, लेकिन आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सभी दल मतदान के दौरान भी एकजुट रहते हैं या नहीं।

    जनता की नजर में

    आम जनता की नज़र में उपराष्ट्रपति चुनाव हमेशा प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति चुनाव जितना चर्चित नहीं होता, लेकिन इस बार हालात अलग हैं।

    • एक तरफ सत्ता पक्ष NDA है, जिसके पास संख्याबल का मजबूत आधार है।

    • दूसरी तरफ INDIA गठबंधन है, जो लोकतांत्रिक संतुलन और निष्पक्षता का संदेश देना चाहता है।

    बी. सुदर्शन रेड्डी का नामांकन इस चुनाव को और रोचक बना रहा है क्योंकि वे एक गैर-राजनीतिक और न्यायिक छवि रखते हैं।

    उपराष्ट्रपति की भूमिका और महत्व

    भारत के उपराष्ट्रपति का पद केवल औपचारिक नहीं है, बल्कि संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

    • उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति (Chairman of Rajya Sabha) होते हैं।

    • राज्यसभा के कामकाज को सुचारू रूप से चलाना और संसदीय बहसों में निष्पक्षता बनाए रखना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है।

    • अगर राष्ट्रपति किसी कारणवश अपना कार्यभार नहीं संभाल पाते तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति का दायित्व भी निभाते हैं।

    इसी कारण उपराष्ट्रपति पद के लिए चुना गया चेहरा राजनीति और शासन व्यवस्था पर सीधा असर डालता है।

    राजनीतिक विश्लेषण

    विशेषज्ञों का मानना है कि:

    1. यदि NDA ने कोई बड़ा राजनीतिक चेहरा उतारा, तो मुकाबला काफी कड़ा हो जाएगा।

    2. यदि विपक्ष एकजुट रहा, तो यह चुनाव NDA के लिए भी आसान नहीं होगा।

    3. बी. सुदर्शन रेड्डी की छवि विपक्ष को नैतिक बढ़त देती है, लेकिन संख्याबल अभी भी NDA के पक्ष में है।

    निष्कर्ष

    बी. सुदर्शन रेड्डी का नामांकन आने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव को अत्यधिक दिलचस्प और ऐतिहासिक बना रहा है। यह केवल सत्ता और विपक्ष की टक्कर नहीं होगी, बल्कि यह लड़ाई होगी निष्पक्षता बनाम राजनीतिक अनुभव की।

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