




नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर अपनी रक्षा क्षमता का लोहा मनवा दिया है। देश की रणनीतिक ताकत को और मजबूत करते हुए अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है। इस उपलब्धि ने न केवल देशवासियों का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी हलचल मचा दी है। जहां पाकिस्तान में इस परीक्षण से चिंता की लहर दौड़ गई है, वहीं अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में भी नई चुनौती खड़ी हो सकती है।
इसके साथ ही संसद में एक बड़ा राजनीतिक नियम लागू किया गया है, जिसके तहत यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी भी उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति पर गंभीर आपराधिक आरोप साबित होते हैं, तो उन्हें तत्काल पद छोड़ना होगा। यह कदम देश की राजनीति में जवाबदेही और पारदर्शिता को और मजबूत करने की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।
अग्नि-5 मिसाइल: भारत की शक्ति का प्रतीक
अग्नि-5 मिसाइल एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी रेंज करीब 5000 किलोमीटर है। यह परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है और पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
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मिसाइल की लॉन्चिंग ओडिशा के तट से की गई।
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परीक्षण पूरी तरह सफल रहा और मिसाइल ने तय समय और दूरी पर अपने लक्ष्य को साधा।
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यह परीक्षण भारत की “नो फर्स्ट यूज” (NFU) नीति के अनुरूप है, यानी भारत परमाणु हथियार का उपयोग केवल जवाबी कार्रवाई के तौर पर करेगा।
इस सफलता ने भारत को अमेरिका, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है, जिनके पास लंबी दूरी की मिसाइलें मौजूद हैं।
अंतरराष्ट्रीय असर
अग्नि-5 के परीक्षण ने पाकिस्तान में चिंता पैदा कर दी है। पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की बढ़ती मिसाइल क्षमता से क्षेत्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित होगा। वहीं, चीन भी इस पर कड़ी नजर रख रहा है क्योंकि मिसाइल की रेंज उसके कई बड़े शहरों तक आसानी से पहुंच सकती है।
दूसरी ओर, अमेरिका और यूरोपीय संघ भी इस कदम को गंभीरता से देख रहे हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत एशिया में “शक्ति संतुलन” बनाए रखे, लेकिन भारत का कहना है कि यह कदम केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में है।
संसद में नया नियम: जवाबदेही की मिसाल
भारत ने सिर्फ रक्षा के क्षेत्र में ही नहीं बल्कि राजनीति की पवित्रता बनाए रखने के लिए भी बड़ा कदम उठाया है। संसद में पारित नए नियम के तहत—
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यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी उच्च पदाधिकारी पर गंभीर आपराधिक मामला दर्ज होता है और प्रारंभिक साक्ष्य पुख्ता होते हैं, तो उन्हें तत्काल पद छोड़ना होगा।
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यह प्रावधान सभी दलों पर समान रूप से लागू होगा।
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नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अपराध के गंभीर मामलों में फंसे नेता सत्ता में बने रहकर जांच को प्रभावित न कर सकें।
यह निर्णय जनता के बीच व्यापक स्वागत पा रहा है। आम नागरिकों और राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नियम से राजनीति में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा।
विपक्ष और सरकार की प्रतिक्रियाएँ
विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस कदम का स्वागत तो किया है, लेकिन साथ ही यह आशंका भी जताई है कि कहीं इस नियम का दुरुपयोग न हो। उनका कहना है कि झूठे आरोप लगाकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को परेशान करने की कोशिश भी हो सकती है।
वहीं, सत्तारूढ़ दल ने स्पष्ट किया है कि इस नियम को निष्पक्ष रूप से लागू किया जाएगा और न्यायपालिका की निगरानी इसमें अहम भूमिका निभाएगी।
ऐतिहासिक संदर्भ
भारत ने हमेशा से “शांति, लेकिन मजबूत रक्षा” की नीति अपनाई है। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद से लेकर आज तक भारत ने रक्षा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
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अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें भारत की सामरिक शक्ति की रीढ़ बन चुकी हैं।
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ड्रोन, सैटेलाइट और एंटी-सैटेलाइट वेपन (ASAT) के क्षेत्र में भी भारत ने अपनी क्षमता साबित की है।
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हाल ही में भारत ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा उत्पादन में विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने का संकल्प लिया है।
विशेषज्ञों की राय
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अग्नि-5 का परीक्षण भारत की सामरिक क्षमता को एक नई ऊँचाई पर ले जाता है।
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प्रो. अरुण मिश्रा, रक्षा विश्लेषक के अनुसार: “यह परीक्षण भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता का संदेश है। भारत अब आत्मविश्वास से कह सकता है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है।”
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वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि संसद का नया नियम भारतीय लोकतंत्र को और परिपक्व बनाएगा।
निष्कर्ष
भारत ने एक ही दिन में दो बड़े संदेश दिए हैं—एक अपनी रक्षा क्षमता से और दूसरा लोकतांत्रिक जवाबदेही से।
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मिसाइल परीक्षण ने दिखा दिया कि भारत किसी भी खतरे से निपटने में सक्षम है।
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संसद का नया नियम बताता है कि देश अब भ्रष्टाचार और अपराध में लिप्त नेताओं को सत्ता में बर्दाश्त नहीं करेगा।
ये दोनों कदम मिलकर भारत की वैश्विक छवि को मजबूत करेंगे और आम जनता को भरोसा दिलाएंगे कि देश सुरक्षित हाथों में है।