




महाराष्ट्र सरकार ने आगामी गणेश उत्सव 2025 के अवसर पर राज्यभर के धार्मिक और सांस्कृतिक मंडलों को 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। यह निर्णय खासतौर पर उन छोटे–बड़े मंडलों के लिए राहत लेकर आया है, जो सीमित संसाधनों के कारण भव्य आयोजन करने में कठिनाई का सामना करते हैं।
गणेशोत्सव का महत्व
गणेशोत्सव महाराष्ट्र की संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है।
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यह उत्सव हर साल भाद्रपद मास में 10 दिनों तक बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा और सामूहिक उत्सव का रूप दिया।
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आज गणेशोत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक और कोल्हापुर जैसे शहरों में गणेशोत्सव का उत्साह चरम पर होता है।
सरकार की घोषणा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“गणेशोत्सव महाराष्ट्र की पहचान है। छोटे–छोटे मंडलों के सामने आर्थिक कठिनाइयाँ आती हैं। इसलिए सरकार ने तय किया है कि इस साल प्रत्येक मान्यता प्राप्त धार्मिक मंडल को 25,000 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।”
इसके साथ ही सरकार ने स्पष्ट किया कि यह सहायता केवल उन्हीं मंडलों को दी जाएगी जो पंजीकृत हैं और जिनकी गतिविधियाँ धार्मिक–सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी हुई हैं।
किसको मिलेगी यह सहायता?
सरकार की गाइडलाइन के अनुसार:
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सभी पंजीकृत गणेश मंडल इस योजना के अंतर्गत आएंगे।
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मंडलों को अपनी पंजीकरण संख्या और पिछली गतिविधियों का विवरण देना होगा।
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मंडलों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे ध्वनि प्रदूषण और पर्यावरण नियमों का पालन करेंगे।
छोटे मंडलों को बड़ी राहत
पुणे के एक मंडल प्रमुख ने कहा:
“हर साल सजावट, मूर्ति स्थापना, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर लाखों रुपये खर्च होते हैं। छोटे मंडलों के लिए यह बहुत भारी पड़ता है। सरकार की यह मदद हमें बहुत सहारा देगी।”
मुंबई के लालबाग इलाके के एक कार्यकर्ता ने बताया कि इस सहायता से मंडलों को कम से कम बिजली, साउंड सिस्टम और सजावट का खर्च निकालने में राहत मिलेगी।
राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि
गणेशोत्सव महाराष्ट्र की राजनीति से भी गहराई से जुड़ा है।
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राजनीतिक दल हमेशा से मंडलों के साथ जुड़कर जनसंपर्क करते आए हैं।
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सरकार का यह निर्णय आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम जनता में सांस्कृतिक भावनाओं को मजबूत करने और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करेगा।
आर्थिक पहलू
गणेशोत्सव सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आर्थिक गतिविधि का बड़ा माध्यम भी है।
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मूर्तिकार, सजावट करने वाले कलाकार, इलेक्ट्रिशियन, साउंड सिस्टम प्रदाता, फूल–माला विक्रेता और मिठाई दुकानदार सभी को इस उत्सव से बड़ी कमाई होती है।
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एक अनुमान के अनुसार, केवल मुंबई में ही गणेशोत्सव से हर साल 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है।
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सरकार की यह सहायता इस परंपरा को और मज़बूत करेगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगी।
पर्यावरण पर ध्यान
पिछले कुछ वर्षों से गणेशोत्सव के दौरान पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
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सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि सहायता पाने वाले मंडलों को इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों को बढ़ावा देना होगा।
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प्लास्टर ऑफ पेरिस (PoP) की मूर्तियों को हतोत्साहित किया जाएगा।
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नदी और समुद्र तटों पर मूर्ति विसर्जन की बजाय कृत्रिम झीलों का उपयोग करने की अपील की जाएगी।
चुनौतियाँ और आलोचना
कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है:
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यह पैसा सार्वजनिक विकास योजनाओं जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा में लगना चाहिए।
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धार्मिक आयोजनों में सरकारी फंडिंग करना पूरी तरह उचित नहीं है।
हालांकि, सरकार का तर्क है कि गणेशोत्सव केवल धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम है, जिससे समाज के हर वर्ग को जोड़ने का काम होता है।
महाराष्ट्र सरकार का धार्मिक मंडलों को 25,000 रुपये की सहायता राशि देने का निर्णय निश्चित रूप से लाखों श्रद्धालुओं और आयोजकों के लिए राहत लेकर आया है। इससे न केवल छोटे–मोटे मंडल आर्थिक रूप से सक्षम होंगे, बल्कि गणेशोत्सव की भव्यता और सामाजिक एकता को भी मजबूती मिलेगी।
यह निर्णय राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है और आगामी गणेशोत्सव को और भी खास बनाने वाला है।