




“दिनभर मोबाइल चलाना अब नौकरी का ऑफ़र दिला सकता है!”
जी हां, मुंबई के एक CEO ने ऐसा जॉब ऑफ़र निकाला है जिसने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया है। उनका कहना है कि वे सिर्फ़ उन्हीं लोगों को नौकरी देंगे जिनका Instagram और YouTube पर स्क्रीनटाइम 6 घंटे से अधिक है।
यह सुनकर कई लोगों को मज़ाक लगा, लेकिन असल में इसके पीछे एक गंभीर वजह है।
Doomscrolling क्या है?
‘Doomscrolling’ शब्द का इस्तेमाल तब होता है जब लोग लगातार सोशल मीडिया, न्यूज़ या वीडियो पर स्क्रॉल करते रहते हैं, अक्सर नकारात्मक या ज़्यादा जानकारी उपभोग करते हुए।
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यह एक लत (Addiction) बन चुकी है।
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मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर होता है।
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लेकिन साथ ही यह सोशल मीडिया ट्रेंड्स, वायरल कंटेंट और यूज़र बिहेवियर को समझने का सबसे तेज़ तरीका भी है।
CEO का बयान
मुंबई स्थित एक डिजिटल स्टार्टअप के CEO ने हाल ही में एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा—
“हमारी कंपनी ऐसे लोगों को हायर करना चाहती है जो हर दिन कम से कम 6 घंटे Instagram और YouTube पर बिताते हों। हमें ऐसे क्रिएटिव माइंड्स चाहिए जो सोशल मीडिया की नब्ज़ पहचान सकें और नए ट्रेंड्स को तुरंत पकड़ सकें।”
यह पोस्ट देखते ही वायरल हो गया और हजारों लोगों ने इसे ‘ड्रीम जॉब’ बताया।
जॉब की असल ज़रूरत
सोशल मीडिया आज सिर्फ़ मनोरंजन का साधन नहीं रहा, बल्कि यह मार्केटिंग और बिज़नेस का सबसे बड़ा प्लेटफ़ॉर्म बन चुका है।
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कंपनियों को ऐसे लोगों की ज़रूरत होती है जो मीम्स, शॉर्ट्स, वायरल वीडियो और ट्रेंड्स को तुरंत समझें।
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सोशल मीडिया पर हर घंटे नए चैलेंज, गाने और ट्रेंड्स आते हैं।
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ब्रांड्स को तुरंत इन पर कंटेंट तैयार करना होता है ताकि वे यूज़र्स का ध्यान खींच सकें।
ऐसे में, जो लोग रोज़ाना घंटों सोशल मीडिया पर रहते हैं, वे ‘ट्रेंड डिटेक्टर’ की तरह काम कर सकते हैं।
भारत में सोशल मीडिया स्क्रीनटाइम
Statista और अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार:
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भारत में औसत सोशल मीडिया स्क्रीनटाइम 2.6 घंटे प्रतिदिन है।
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युवा वर्ग (18–30 वर्ष) में यह बढ़कर 4–5 घंटे तक पहुँच जाता है।
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लेकिन जो लोग 6–7 घंटे तक Instagram और YouTube का इस्तेमाल करते हैं, वे अक्सर कंटेंट क्रिएटर्स या मार्केटिंग से जुड़े होते हैं।
इसलिए, CEO का यह जॉब ऑफ़र सामान्य यूज़र्स के बजाय उन्हीं के लिए है जो सोशल मीडिया को सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि करियर के अवसर की तरह देखते हैं।
नौकरी के लिए योग्यताएँ
CEO ने अपनी पोस्ट में कुछ हास्यास्पद लेकिन दिलचस्प योग्यताएँ भी लिखीं:
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Instagram Reels और YouTube Shorts पर घंटों स्क्रॉल करना चाहिए।
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ट्रेंडिंग ऑडियो, मीम्स और वायरल चुनौतियों की तुरंत पहचान होनी चाहिए।
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वीडियो परफॉर्मेंस और एंगेजमेंट को समझने की आदत होनी चाहिए।
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सोशल मीडिया पर समय बिताने को “गिल्टी प्लेज़र” नहीं बल्कि रिसर्च मानना चाहिए।
दुनिया भर में क्यों बना चर्चा का विषय?
सोशल मीडिया पर इस अनोखी जॉब पोस्ट को लाखों बार शेयर किया गया।
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कुछ लोगों ने इसे “आलसियों के लिए बेस्ट जॉब” बताया।
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वहीं कुछ ने कहा कि यह “Gen Z और मिलेनियल्स के लिए परफेक्ट नौकरी” है।
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लेकिन मार्केटिंग एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह ऑफ़र पूरी तरह व्यावहारिक है, क्योंकि आज वायरल ट्रेंड्स ही मार्केटिंग का सबसे बड़ा हथियार हैं।
मनोवैज्ञानिक पहलू
हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी भी देते हैं।
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Doomscrolling को लंबे समय तक करना मानसिक तनाव और चिंता को बढ़ा सकता है।
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यदि इसे नौकरी के रूप में लिया जाता है तो कंपनियों को चाहिए कि वे कर्मचारियों के लिए ‘डिजिटल हेल्थ ब्रेक्स’ भी रखें।
क्या भारत में ऐसी नौकरियाँ भविष्य हैं?
डिजिटल मार्केटिंग इंडस्ट्री लगातार बढ़ रही है।
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आने वाले समय में “Trend Analysts”, “Meme Managers” और “Reel Researchers” जैसी नौकरियाँ और भी आम होंगी।
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कंपनियाँ ऐसे लोगों को हायर करेंगी जो सोशल मीडिया पर “ऑर्गैनिकली” कंटेंट को वायरल करना जानते हों।
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भारत जैसे देश में, जहां 820 मिलियन इंटरनेट यूज़र्स हैं, यह इंडस्ट्री सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली है।
मुंबई के इस CEO की यह जॉब पोस्ट भले ही मज़ाक जैसी लगे, लेकिन इसमें एक गहरी सच्चाई छिपी है—सोशल मीडिया का ज्ञान अब सिर्फ़ टाइमपास नहीं, बल्कि करियर का साधन बन चुका है।
“दिनभर मोबाइल चलाने” पर अक्सर लोग डाँट खाते हैं, लेकिन अब वही आदत किसी को एक नई नौकरी और सुनहरा करियर दिला सकती है।