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    नोहर तहसील में अतिवृष्टि से फसल बर्बाद, किसानों ने उपखंड अधिकारी को दिखाई कृषि क्षति

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         हनुमानगढ़ जिले की तहसील नोहर में किसानों की मेहनत बारिश के कहर के कारण बर्बाद हो गई। हाल ही में हुई अतिवृष्टि ने क्षेत्र की मुंग, मोठ, ग्वार, बाजार नरमे और अन्य फसलों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए भारतीय किसान संघ, तहसील शाखा नोहर के प्रतिनिधि मंडल ने उपखंड अधिकारी से मिलकर फसल का नुकसान दिखाया और राज्य सरकार से उचित मुआवजा दिलाने की मांग की।

    प्रतिनिधि मंडल में राजेंद्र सिहाग (अध्यक्ष, भूमि विकास बैंक), पृथ्वी साहू (महामंत्री), गंगाराम बेनीवाल (उपाध्यक्ष), प्रेम गोदारा (जिला कार्यकारिणी सदस्य), प्रताप जी सहारण, कुरडाराम फगेड़िया, सोहनलाल, रमेश, महेंद्र सहित कई किसान शामिल थे।

    किसानों ने उपखंड अधिकारी को नष्ट हुई फसल के पौधे साथ में लाकर दिखाए। उन्होंने बताया कि अतिवृष्टि के कारण फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। कुछ पौधे तो अंकुरित हो चुके हैं, लेकिन उनकी खेती अब कोई लाभ नहीं दे सकती।

    उपखंड अधिकारी ने किसानों द्वारा प्रस्तुत फसल के पौधों को देखकर चिंता व्यक्त की और कहा कि यह स्थिति गंभीर है। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा भेजे गए मांग पत्र के आधार पर राज्य सरकार तक नुकसान की रिपोर्ट भेजी जाएगी और किसानों को अधिक से अधिक मुआवजा दिलाने की कोशिश की जाएगी।

    नोहर तहसील में इस बार के मौसम में अचानक हुई भारी बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। प्रभावित फसलें निम्नलिखित हैं:

    • मुंग: पूरी तरह से बर्बाद

    • मूठ (Mooth/Matki): फसल पूरी तरह नष्ट

    • ग्वार: अधिक नुकसान हुआ

    • बाजार नरमा: जलभराव और कीट समस्या के कारण फसल खराब

    किसानों ने बताया कि यह नुकसान केवल एक ही गाँव या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरा तहसील क्षेत्र प्रभावित हुआ है। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि अतिवृष्टि से प्रभावित सभी किसानों को उचित मुआवजा मिले।

    प्रतिनिधि मंडल ने उपखंड अधिकारी के माध्यम से राज्य सरकार को मांग पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने किसानों को हुए नुकसान का पूरा ब्यौरा दिया। पत्र में कहा गया कि अतिवृष्टि की वजह से फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है और किसानों के आर्थिक हालात बिगड़ रहे हैं।

    किसानों ने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि:

    1. अधिकतम मुआवजा प्रदान किया जाए।

    2. प्रभावित क्षेत्र के किसानों के लिए विशेष राहत पैकेज लागू किया जाए।

    3. भविष्य में ऐसे प्राकृतिक आपदाओं के लिए बीमा और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

    भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि इस बार की अतिवृष्टि ने साबित कर दिया कि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि खेती में जोखिम कम करने के लिए सरकार को बीमा और उचित तकनीकी सहायता मुहैया करानी चाहिए।

    राजेंद्र सिहाग ने कहा, “हम चाहते हैं कि राज्य सरकार इस मामले को गंभीरता से ले और किसानों को तुरंत राहत उपलब्ध कराए। यह सिर्फ आर्थिक नुकसान का सवाल नहीं है, बल्कि हमारे जीवन का सवाल है।”

    पृथ्वी साहू ने बताया कि किसानों ने अपने प्रयासों से फसल तैयार की थी, लेकिन अतिवृष्टि ने उनकी मेहनत को नष्ट कर दिया। “हमारे पास विकल्प सीमित हैं। हमें राज्य सरकार से न्याय और राहत की उम्मीद है,” उन्होंने कहा।

    उपखंड अधिकारी ने कहा कि किसानों द्वारा लाए गए फसल पौधों का निरीक्षण किया गया और यह स्थिति गंभीर है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि फसल नुकसान का आकलन जल्द से जल्द किया जाए और राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाए।

    उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा उठाए गए कदमों का असर राज्य सरकार तक पहुंचेगा और किसानों को न्यायपूर्ण मुआवजा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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