




उत्तर प्रदेश के जेवर में स्थित नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का फेज-1 लगभग 3,296 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना भारत के विमानन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होने जा रही है। इस क्षेत्रफल के साथ, यह एयरपोर्ट भारत का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनने की ओर अग्रसर है।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का फेज-1 एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसे यमुन इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (YIAPL) द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस परियोजना की कुल लागत लगभग ₹29,561 करोड़ है, और इसे चार चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में एक रनवे, टर्मिनल भवन, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) टावर, और अन्य आवश्यक सुविधाएँ शामिल हैं।
पहले चरण के पूरा होने के बाद, 2025 के अंत तक घरेलू और कार्गो उड़ानों की शुरुआत की योजना है। इसके बाद, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत नवंबर 2025 में होने की संभावना है। इस एयरपोर्ट के चालू होने से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हवाई यात्रा की क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना से न केवल विमानन क्षेत्र को लाभ होगा, बल्कि इससे क्षेत्रीय विकास में भी तेजी आएगी। एयरपोर्ट के पास एक लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग हब का विकास भी किया जा रहा है, जो व्यापार और उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके अलावा, एयरपोर्ट तक पहुँचने के लिए विभिन्न सड़क और मेट्रो कनेक्टिविटी योजनाएँ बनाई जा रही हैं, जिससे यात्रियों को सुविधा होगी।
वर्तमान में, परियोजना का लगभग 80% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। रनवे और एयरसाइड इंफ्रास्ट्रक्चर का कार्य लगभग 90% पूरा हो चुका है। निर्माण कार्य में देरी के कारण, परियोजना के लिए दैनिक ₹10 लाख का जुर्माना लगाया गया है। इसके बावजूद, अधिकारियों का मानना है कि एयरपोर्ट निर्धारित समयसीमा में चालू हो जाएगा।
एयरपोर्ट के पूर्ण संचालन के बाद, यह एशिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनने की दिशा में अग्रसर है। इसके चारों चरणों के पूरा होने पर, यह एयरपोर्ट 70 मिलियन यात्रियों की वार्षिक क्षमता को संभाल सकेगा।