




अमेरिकी राजनीति में बड़ा भूचाल तब आया जब उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के दोबारा चुनाव लड़ने के फैसले को लेकर खुलकर अपनी राय रखी। हैरिस ने कहा कि बाइडेन अब 81 वर्ष की उम्र में “थक चुके हैं” और इस स्थिति में दोबारा चुनाव लड़ना न केवल राजनीतिक लापरवाही है बल्कि अमेरिकी जनता के साथ अन्याय भी है।
कमला हैरिस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब 2024 के चुनावी नतीजों ने डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर गहरे असंतोष को उजागर कर दिया है। पार्टी के भीतर यह सवाल लगातार उठता रहा है कि क्या बाइडेन की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को देखते हुए उन्हें फिर से राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी करनी चाहिए थी।
🔹 कमला हैरिस का करारा प्रहार
हैरिस ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“जो बाइडेन ने अमेरिका को मुश्किल समय में संभाला, लेकिन अब उन्हें खुद स्वीकार करना चाहिए कि वे थक चुके हैं। जनता का विश्वास जीतने के लिए ऊर्जा, नए विचार और सक्रिय नेतृत्व चाहिए, जो इस उम्र में संभव नहीं।”
उन्होंने जोड़ा कि बाइडेन का यह फैसला डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए राजनीतिक जोखिम साबित हो सकता है और इसका सीधा फायदा रिपब्लिकन उम्मीदवारों को मिलेगा।
🔹 डेमोक्रेटिक पार्टी में बढ़ती दरार
बाइडेन के फिर से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही पार्टी में कई वरिष्ठ नेता चुप्पी साधे रहे थे। परंतु अब कमला हैरिस जैसी वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता की आलोचना ने यह संकेत दे दिया है कि पार्टी में एकजुटता की कमी है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि हैरिस या कोई और युवा नेता बाइडेन की जगह राष्ट्रपति पद की कमान संभाले।
🔹 अमेरिकी जनता की प्रतिक्रिया
सर्वेक्षणों में भी यह स्पष्ट हो रहा है कि जनता के एक बड़े वर्ग को बाइडेन की उम्र और स्वास्थ्य पर संदेह है। कई नागरिकों का मानना है कि अगले चार सालों के लिए बाइडेन का चुना जाना व्यावहारिक दृष्टि से मुश्किल होगा। वहीं, हैरिस की यह टिप्पणी उन मतदाताओं को और प्रभावित कर सकती है जो पहले ही डेमोक्रेटिक नेतृत्व से असंतुष्ट हैं।
🔹 रिपब्लिकन खेमे में खुशी
बाइडेन और हैरिस के बीच इस तरह की सार्वजनिक बयानबाज़ी ने रिपब्लिकन पार्टी को मौका दे दिया है। डोनाल्ड ट्रंप और अन्य रिपब्लिकन नेता इसे “डेमोक्रेट्स की कमजोरी” बताकर जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर डेमोक्रेटिक पार्टी समय रहते आंतरिक कलह को नहीं सुलझाती तो यह चुनावी हार में बदल सकता है।
🔹 आगे का रास्ता
कमला हैरिस का यह बयान आने वाले महीनों में अमेरिकी राजनीति में बड़ा मुद्दा बनने वाला है। क्या बाइडेन दबाव में आकर अपना फैसला बदलेंगे? या डेमोक्रेटिक पार्टी नए उम्मीदवार को आगे लाएगी? इन सवालों के जवाब अभी अस्पष्ट हैं, लेकिन इतना तय है कि हैरिस की मुखर आलोचना ने बाइडेन की राह को और कठिन बना दिया है।
81 वर्ष की उम्र में बाइडेन के चुनावी दांव ने अमेरिकी राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है। कमला हैरिस का बयान न केवल डेमोक्रेटिक पार्टी की आंतरिक राजनीति को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि जनता की चिंताएं अब पार्टी नेतृत्व तक खुलकर पहुंच रही हैं। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि बाइडेन क्या रुख अपनाते हैं और क्या डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें अंतिम दांव तक समर्थन देती है।