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भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग लगातार नए आयाम छू रहा है। हाल ही में हुई वार्ताओं के दौरान दोनों देशों ने नौसैनिक क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। इसी क्रम में भारतीय नौसेना के लिए अमेरिका से अत्याधुनिक P-8I नेवल एयरक्राफ्ट की नई खेप खरीदने पर सहमति बनी है। यह समझौता न केवल नौसेना की ताकत बढ़ाएगा बल्कि भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी को भी नए मुकाम पर ले जाएगा।
🔹 P-8I एयरक्राफ्ट की खासियत
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P-8I, अमेरिकी कंपनी बोइंग (Boeing) द्वारा बनाया गया एक अत्याधुनिक लॉन्ग-रेंज मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट है।
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यह विमान पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare), निगरानी और टोही मिशनों में बेहद कारगर है।
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इसमें आधुनिक सेंसर, रेडार सिस्टम, और हथियार क्षमता है, जो भारतीय समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को और पुख्ता करेगा।
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भारतीय नौसेना के पास पहले से ही 12 P-8I विमान मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में निगरानी और सुरक्षा के लिए किया जा रहा है।
🔹 भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी की अहमियत
भारत और अमेरिका के बीच यह सौदा केवल सैन्य शक्ति का विस्तार नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक भी है।
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनज़र यह साझेदारी महत्वपूर्ण है।
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अमेरिका और भारत दोनों ही क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी सहयोग और नौसैनिक अभ्यासों में सक्रिय रूप से जुड़े हैं।
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इस डील से भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी, तटीय सुरक्षा और आपदा प्रबंधन क्षमताएं और मजबूत होंगी।
🔹 रक्षा विशेषज्ञों की राय
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता भारत की ब्लू वाटर नेवी बनने की दिशा में एक अहम कदम है।
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P-8I विमान की लंबी दूरी तक निगरानी और पनडुब्बी का पता लगाने की क्षमता से भारतीय नौसेना को बढ़त मिलेगी।
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इससे न केवल समुद्री सीमा की सुरक्षा मजबूत होगी बल्कि मित्र देशों के साथ ज्वाइंट ऑपरेशंस और कोऑपरेशन भी बढ़ेगा।
🔹 आर्थिक और औद्योगिक लाभ
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यह डील भारत में रक्षा उत्पादन और तकनीकी सहयोग के नए अवसर भी खोल सकती है।
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भविष्य में अमेरिका और भारत के बीच जॉइंट प्रोडक्शन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) सुविधाएं विकसित हो सकती हैं।
भारत और अमेरिका के बीच P-8I विमान सौदा केवल रक्षा सहयोग का विस्तार नहीं बल्कि भविष्य की सामरिक साझेदारी की नींव है। यह न केवल नौसेना की क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को और मजबूत करेगा।








