




भारत के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप में संरचनात्मक बदलाव की तैयारी शुरू हो गई है। हाल ही में रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट्स में सुधार की चर्चा तेज हो गई है। खबर है कि टाटा ट्रस्ट्स अब अपने सदस्यों के लिए रिटायरमेंट की उम्र तय करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में टाटा ट्रस्ट्स की करीब 66 फीसदी हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि समूह के सभी अहम फैसलों पर टाटा ट्रस्ट्स का बड़ा प्रभाव है। यही कारण है कि ट्रस्ट्स के सदस्यों की संरचना और नीतियां पूरे समूह की दिशा तय करती हैं।
अब तक टाटा ट्रस्ट्स में किसी सदस्य की उम्र सीमा तय नहीं की गई थी। यानी एक बार सदस्य बनने के बाद व्यक्ति लंबे समय तक इस पद पर बने रह सकता है। हालांकि, रतन टाटा के निधन के बाद प्रबंधन में संतुलन और कार्यकुशलता बनाए रखने के लिए रिटायरमेंट एज तय करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, टाटा ट्रस्ट्स जल्द ही एक ऐसी नीति ला सकता है जिसके तहत किसी भी सदस्य की अधिकतम उम्र सीमा तय की जाएगी। इस सीमा को 70 से 75 वर्ष तक रखने पर चर्चा हो रही है। ऐसा करने से नए और युवा पेशेवरों को भी ट्रस्ट्स में शामिल होने का अवसर मिलेगा।
रतन टाटा ने न सिर्फ टाटा ग्रुप को वैश्विक पहचान दिलाई बल्कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस और ट्रस्ट्स के माध्यम से समाज सेवा की दिशा में भी बड़ा योगदान दिया। उनके निधन के बाद यह स्वाभाविक है कि टाटा ट्रस्ट्स अब एक संस्थागत ढांचे को और मजबूत करना चाहता है।
टाटा ग्रुप सिर्फ एक कारोबारी समूह नहीं है बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में इसकी गहरी जड़ें हैं। टाटा ट्रस्ट्स स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और विज्ञान-तकनीक जैसे क्षेत्रों में हजारों करोड़ रुपये का निवेश करता रहा है। इसलिए, ट्रस्ट्स का पारदर्शी और सक्रिय प्रबंधन बेहद जरूरी है।
कॉर्पोरेट गवर्नेंस विशेषज्ञों का मानना है कि रिटायरमेंट एज तय करने से संस्थान अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा। इससे नेतृत्व में स्थिरता के साथ-साथ नई सोच और ऊर्जा को भी जगह मिलेगी। वहीं, यह कदम समूह के लिए दीर्घकालिक रणनीति साबित हो सकता है।
टाटा ट्रस्ट्स का सीधा असर टाटा संस और फिर उससे जुड़े अन्य टाटा कंपनियों पर पड़ता है। किसी भी संरचनात्मक बदलाव से निवेशकों और शेयर बाजार में सकारात्मक संकेत जा सकते हैं। विशेषकर जब यह बदलाव प्रबंधन को अधिक आधुनिक और व्यवस्थित बनाए।
यदि टाटा ट्रस्ट्स रिटायरमेंट एज लागू करता है तो यह भारत के अन्य बड़े कॉर्पोरेट समूहों के लिए भी एक मॉडल पॉलिसी साबित हो सकती है। इससे भारतीय उद्योग जगत में बेहतर गवर्नेंस और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा मिलेगा।
रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट्स में रिटायरमेंट एज तय करने की तैयारी समूह के लिए एक बड़ा कदम है। यह न केवल संगठन की संरचना को मजबूत करेगा बल्कि आने वाले वर्षों में टाटा ग्रुप को और भी आधुनिक और पारदर्शी बनाएगा। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि टाटा ट्रस्ट्स किस उम्र सीमा को अंतिम रूप देता है और यह बदलाव कब से लागू होता है।