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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कोलकाता स्थित पूर्वी कमान मुख्यालय (Eastern Command Headquarters) पहुँचे। यहाँ उन्होंने ‘सशस्त्र बल कमांडर्स सम्मेलन’ (Armed Forces Commanders Conference) का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों का वार्षिक आयोजन है, जिसमें देश की सुरक्षा चुनौतियों, नई तकनीक, सीमावर्ती हालात और सैन्य आधुनिकीकरण पर गहन चर्चा की जाती है।
भारतीय सेना का पूर्वी कमान मुख्यालय कोलकाता में स्थित है, जिसे रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कमान भारत-चीन और भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है। पूर्वोत्तर राज्यों में लगातार बदलते भू-राजनीतिक हालात, म्यांमार सीमा पर सक्रियता और चीन के साथ तनावपूर्ण रिश्ते इसे और भी अहम बना देते हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री का इस सम्मेलन का उद्घाटन करना एक बड़े संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
इस वर्ष के सम्मेलन का विषय “आधुनिक युद्ध में आत्मनिर्भर भारत” रखा गया है। इसका उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
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सीमावर्ती सुरक्षा: भारत-चीन सीमा और म्यांमार से लगते इलाकों की स्थिति पर विस्तृत चर्चा हुई।
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तकनीकी आधुनिकीकरण: ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सुरक्षा पर विशेष सत्र आयोजित किए गए।
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संयुक्त ऑपरेशन: थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच बेहतर तालमेल पर जोर दिया गया।
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रक्षा उत्पादन: स्वदेशी रक्षा उपकरण और हथियारों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा,
“आज भारत नई ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। हमारे सशस्त्र बल न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी भारत की ताकत और जिम्मेदारी का परिचय कराते हैं। हमें आने वाली चुनौतियों के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा और इसमें स्वदेशी तकनीक की बड़ी भूमिका होगी।”
उन्होंने आगे यह भी कहा कि भारत का लक्ष्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प के तहत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है, जिससे देश विदेशी आयात पर कम निर्भर रहेगा और भारतीय सेनाएँ और भी सशक्त होंगी।
सम्मेलन में थलसेना प्रमुख, वायुसेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख सहित तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस अवसर पर शामिल हुए। सभी ने प्रधानमंत्री को भारतीय सशस्त्र बलों की मौजूदा क्षमताओं और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी।
इस सम्मेलन का आयोजन ऐसे समय में हुआ है जब एशिया में सुरक्षा परिदृश्य लगातार बदल रहा है।
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चीन की गतिविधियाँ: लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन की बढ़ती गतिविधियों को लेकर भारत सजग है।
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म्यांमार संकट: म्यांमार में जारी राजनीतिक अस्थिरता और सीमा पर सक्रिय विद्रोही गुटों से भारत को सुरक्षा चुनौतियाँ मिल रही हैं।
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भारत-बांग्लादेश सहयोग: पूर्वी कमान बांग्लादेश सीमा पर तस्करी और घुसपैठ रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। ट्विटर (X) पर #PMModi #EasternCommand और #ArmedForcesConference जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। आम लोग प्रधानमंत्री के इस कदम को भारतीय सेना के मनोबल को बढ़ाने वाला और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने वाला कदम बता रहे हैं।
सम्मेलन में यह स्पष्ट किया गया कि आने वाले समय में भारत को ड्रोन, मिसाइल सिस्टम, साइबर सुरक्षा और स्पेस डिफेंस जैसी क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा। रक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में पहले ही कई स्वदेशी प्रोजेक्ट्स शुरू किए हैं, जिन पर पीएम मोदी ने संतोष व्यक्त किया।
पूर्वी कमान मुख्यालय से पीएम मोदी का यह दौरा न केवल रणनीतिक महत्व का है बल्कि यह भारतीय सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम भी है। यह दौरा दर्शाता है कि भारत आने वाले समय में हर सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।








