इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

हर साल 15 सितंबर को भारत में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। यह दिन आधुनिक भारत के महान इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को समर्पित है, जिनके योगदान ने भारत की इंजीनियरिंग और विकास यात्रा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। लेकिन इस साल का इंजीनियर्स डे एक अहम सवाल के बीच आ रहा है – क्या एआई (Artificial Intelligence) इंजीनियरों की जॉब सिक्योरिटी के लिए खतरा बन रहा है?
इसी सवाल का जवाब देने के लिए एक हालिया सर्वे सामने आया है, जिसने इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी सेक्टर में गहरी चिंता और बहस को जन्म दे दिया है।
🔹 सर्वे के मुख्य नतीजे
भारत के शीर्ष टेक हब्स – बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, गुड़गांव और चेन्नई – में 5,000 से अधिक इंजीनियरिंग प्रोफेशनल्स पर किए गए इस सर्वे ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए।
-
करीब 62% इंजीनियरों ने माना कि एआई की वजह से आने वाले 5 वर्षों में उनकी जॉब्स पर खतरा मंडरा रहा है।
-
40% इंजीनियरों का कहना है कि कंपनियां अब पारंपरिक इंजीनियरिंग रोल्स के बजाय एआई-आधारित स्किल्स वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही हैं।
-
वहीं, 25% युवा इंजीनियर मानते हैं कि यदि उन्होंने एआई और डेटा साइंस जैसी स्किल्स नहीं सीखीं, तो उनके लिए लंबे समय तक करियर सुरक्षित रखना मुश्किल होगा।
🔹 कंपनियों का बदलता दृष्टिकोण
आईटी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कई बड़ी कंपनियाँ अब ऑटोमेशन और एआई टूल्स को तेजी से अपनाती जा रही हैं। पहले जहाँ कंपनियाँ बड़े पैमाने पर मैनुअल इंजीनियरिंग और टेस्टिंग स्टाफ पर निर्भर थीं, अब एआई आधारित सिस्टम्स ने उन कामों को आसान और तेज़ बना दिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव पूरी तरह नकारात्मक नहीं है। क्योंकि एआई ने इंजीनियरों के लिए नई तरह की नौकरियों और स्किल्स की मांग भी बढ़ाई है।
🔹 नए अवसर भी खुल रहे हैं
जहाँ कुछ पारंपरिक नौकरियों में कटौती हो रही है, वहीं एआई डेवलपमेंट, डेटा एनालिटिक्स, साइबर सिक्योरिटी और मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
-
30% कंपनियों ने माना कि वे अपने कर्मचारियों को एआई ट्रेनिंग देने के लिए विशेष बजट आवंटित कर रही हैं।
-
कई यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग कॉलेज अब अपने पाठ्यक्रम में AI और Robotics को शामिल कर रहे हैं।
🔹 इंजीनियरों की राय
सर्वे में शामिल इंजीनियरों का मानना है कि जॉब सिक्योरिटी बनाए रखने के लिए उन्हें लगातार अपस्किलिंग और रिस्किलिंग की जरूरत है। एक युवा इंजीनियर ने कहा –
“पहले डिग्री मिलने के बाद स्थिर नौकरी की गारंटी होती थी, लेकिन अब बिना नई टेक्नोलॉजी सीखें आगे बढ़ना नामुमकिन है।”
🔹 सरकार और उद्योग की भूमिका
भारत सरकार भी इस चुनौती को समझते हुए कई कदम उठा रही है। स्किल इंडिया मिशन और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के तहत एआई और टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग पर जोर दिया जा रहा है। उद्योग जगत भी स्टार्टअप्स और इनोवेशन सेंटर्स के माध्यम से युवाओं को नए अवसर दे रहा है।
इंजीनियर्स डे 2025 हमें यह याद दिलाता है कि भारत के विकास की रीढ़ हमेशा से इंजीनियर रहे हैं। हालांकि, अब एआई और ऑटोमेशन ने उनकी जॉब सिक्योरिटी को नई चुनौती दी है। इस चुनौती का सामना करने का एकमात्र तरीका है – लगातार सीखना और नई स्किल्स अपनाना।
भविष्य उन्हीं इंजीनियरों का है, जो AI, Robotics और Emerging Technologies के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेंगे।








