




भोपाल में कोलार सिक्स-लेन परियोजना के लिए 1377 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के मामले में एक नया मोड़ आया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भोपाल नगर निगम से यह स्पष्ट करने को कहा है कि असली ‘ट्री ऑफिसर’ कौन है, जिसने यह अनुमति दी। यह मामला पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संवेदनशील माना जा रहा है, और इसकी जांच तेज़ी से चल रही है।
मामला क्या है?
कोलार सिक्स-लेन परियोजना के लिए 1377 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी। याचिकाकर्ता के वकील, हरप्रीत सिंह गुप्ता ने NGT में दलील दी कि मध्य प्रदेश के वृक्षों का संरक्षण (नगरीय क्षेत्र) अधिनियम, 2001 की धारा 4, 5 और 6 के अनुसार, केवल एक गजेटेड वन अधिकारी या नगर निगम के कमिश्नर ही ‘ट्री ऑफिसर’ हो सकते हैं। लेकिन इस मामले में, यह अनुमति सहायक कमिश्नर (बागवानी), भोपाल नगर निगम ने दी, जो कि इस पद के लिए अधिकृत नहीं हैं।
NGT की प्रतिक्रिया
NGT ने इस मामले को गंभीरता से लिया और भोपाल नगर निगम से जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि सहायक कमिश्नर (बागवानी) द्वारा दी गई अनुमति केवल एक ‘संचार’ है और इसमें कोई ठोस आदेश नहीं है। NGT ने नगर निगम से यह भी पूछा है कि क्या इस अनुमति को देने का अधिकार किसी अन्य अधिकारी को सौंपा गया था, और यदि हां, तो इसके लिए कानूनी आधार क्या है।
कानूनी परिप्रेक्ष्य
मध्य प्रदेश के वृक्षों का संरक्षण (नगरीय क्षेत्र) अधिनियम, 2001 के तहत, पेड़ों की कटाई की अनुमति देने का अधिकार केवल एक गजेटेड वन अधिकारी या नगर निगम के कमिश्नर को है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने से पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
पर्यावरणीय प्रभाव
1377 पेड़ों की कटाई से न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा, बल्कि यह शहर की हवा की गुणवत्ता और जलवायु पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से पर्यावरणीय असंतुलन हो सकता है।
आगे की प्रक्रिया
NGT ने भोपाल नगर निगम से 29 नवंबर 2024 के आदेश की मूल प्रति और संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत करने को कहा है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि किसी अन्य अधिकारी को ‘ट्री ऑफिसर’ के रूप में कार्य करने का अधिकार सौंपा गया है, तो इसके लिए कानूनी आधार प्रस्तुत किया जाए।
भोपाल में 1377 पेड़ों की कटाई की अनुमति देने वाले असली ‘ट्री ऑफिसर’ का खुलासा होना आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यावरणीय नियमों का पालन किया गया है या नहीं। NGT की जांच इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, और इससे भविष्य में इस तरह के मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।