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    अमेरिका ने फिर किया इंजन सप्लाई में खेल, तेजस फाइटर जेट की डिलिवरी पर संकट, HAL चेयरमैन ने जताई चिंता

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    भारत की स्वदेशी रक्षा महत्वाकांक्षा को झटका लग सकता है। तेजस फाइटर जेट (Tejas Fighter Jet) की डिलिवरी एक बार फिर अमेरिकी कंपनी जेनरल इलेक्ट्रिक (GE) की इंजन सप्लाई के कारण अटक सकती है।

    हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के चेयरमैन ने हाल ही में बताया कि GE कंपनी उतनी तेज़ी और संख्या में इंजन उपलब्ध नहीं करा पा रही है, जितनी की उसने आश्वासन दिया था।

    HAL के सामने नई चुनौती

    HAL के चेयरमैन ने कहा है कि कंपनी ने तेजस की तय समयसीमा में डिलिवरी करने की तैयारी कर ली थी, लेकिन अब इंजन सप्लाई का संकट उत्पन्न हो गया है।

    • GE की ओर से सप्लाई धीमी पड़ने के कारण नए बैच की डिलिवरी प्रभावित हो सकती है।

    • यह समस्या केवल उत्पादन ही नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा रणनीति और रक्षा परियोजनाओं पर भी असर डाल सकती है।

    अमेरिका का भरोसा और हकीकत

    भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते के तहत GE ने तेजस के लिए पर्याप्त संख्या में इंजन सप्लाई करने का वादा किया था।

    • लेकिन अब तक सप्लाई उतनी तेज़ी से नहीं हो रही है।

    • विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति के लिए एक झटका है।

    तेजस का महत्व

    तेजस भारत का स्वदेशी विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने डिजाइन और तैयार किया है।

    • यह भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने के साथ-साथ भारत को रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।

    • अभी तक तेजस के कई बैच भारतीय वायुसेना को सौंपे जा चुके हैं और नए वर्जन पर काम चल रहा है।

    इंजन सप्लाई क्यों है अहम?

    तेजस फाइटर जेट में अमेरिकी कंपनी GE का F404 इंजन लगाया जाता है।

    • इंजन के बिना HAL न तो उत्पादन की रफ्तार बनाए रख सकता है और न ही समय पर डिलिवरी कर सकता है।

    • इस वजह से वायुसेना की तत्कालिक जरूरतें प्रभावित हो सकती हैं।

    रक्षा विशेषज्ञों की राय

    रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि:

    1. अमेरिका द्वारा बार-बार इंजन सप्लाई में देरी करना भारत की रणनीतिक जरूरतों पर असर डाल सकता है।

    2. भारत को अब अपने स्वदेशी इंजन निर्माण पर तेजी से काम करना होगा।

    3. लंबे समय में यह संकट भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे सकता है।

    सरकार की रणनीति

    रक्षा मंत्रालय ने HAL और GE के बीच हुई देरी पर नज़र रखी है। सूत्रों के मुताबिक:

    • भारत सरकार अब GE से तेजी से सप्लाई सुनिश्चित करने का दबाव बना रही है।

    • साथ ही स्वदेशी इंजन तकनीक पर काम को और तेज़ करने की तैयारी की जा रही है।

    स्वदेशी इंजन निर्माण की आवश्यकता

    यह संकट भारत के लिए इस बात का सबूत है कि विदेशी कंपनियों पर निर्भरता हमेशा जोखिम भरी रहती है

    • भारत के पास पहले से Ghatak और Dry Kaveri Engine Projects जैसे स्वदेशी प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है।

    • यदि भारत खुद के इंजन बनाने में सक्षम हो जाता है, तो इस तरह की चुनौतियों से आसानी से निपटा जा सकता है।

    भविष्य की संभावनाएँ

    • यदि GE इंजन सप्लाई में देरी करता रहा, तो HAL को डिलिवरी शेड्यूल बदलना पड़ सकता है।

    • इससे भारतीय वायुसेना के मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम पर असर पड़ सकता है।

    • हालांकि, यह भारत को लंबी अवधि में आत्मनिर्भर बनने का रास्ता भी दिखाता है।

    तेजस फाइटर जेट भारत की रक्षा क्षमता और स्वदेशी तकनीक का प्रतीक है। लेकिन अमेरिकी कंपनी GE की इंजन सप्लाई में देरी ने HAL और भारत सरकार की चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

    यह संकट एक ओर भारत के रक्षा उत्पादन मिशन पर चुनौती है, वहीं दूसरी ओर यह भारत को अपने स्वदेशी इंजन प्रोजेक्ट को तेज़ करने का अवसर भी प्रदान करता है।

    आने वाले समय में भारत को यह तय करना होगा कि वह कितने समय तक विदेशी तकनीक पर निर्भर रह सकता है, और कब तक अपने मजबूत स्वदेशी विकल्प तैयार करेगा।

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