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    दिन 4: तिनसुकिया आर्थिक नाकेबंदी से सप्लाई चेन अस्त-व्यस्त, स्थानीय व्यापारियों को भारी झटका

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    असम के तिनसुकिया जिले में मोरान समुदाय की ओर से शुरू की गई आर्थिक नाकेबंदी का आज चौथा दिन है। नाकेबंदी के चलते पूरे इलाके में सप्लाई चेन चरमराने लगी है और स्थानीय व्यवसायियों से लेकर आम नागरिकों तक, सभी प्रभावित हो रहे हैं। तेल, कोयला, चाय और रोज़मर्रा की ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति बुरी तरह से बाधित है।

    नाकेबंदी की वजह: मोरान समुदाय की मांग

    तिनसुकिया में मोरान छात्रों की संस्था ऑल मोरान स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU) ने यह आर्थिक नाकेबंदी लागू की है। उनकी प्रमुख मांग है कि मोरान समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए। यह मांग लंबे समय से चल रही है, लेकिन अब आंदोलनकारियों ने इसे तेज़ करने के लिए सड़क पर उतरकर NH-15 और मकुम बायपास जैसे प्रमुख मार्गों को बाधित कर दिया है।

    छात्र संगठनों का कहना है कि ST दर्जा मिलने से समुदाय को सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक लाभ मिलेंगे, जबकि सरकार इस प्रक्रिया में संवैधानिक और प्रशासनिक अड़चनों का हवाला दे रही है।

    चौथे दिन की स्थिति: सप्लाई चेन पर भारी असर

    1. ट्रकों की आवाजाही रुकी
      नाकेबंदी की वजह से तेल, कोयला और लकड़ी ले जाने वाले ट्रकों के साथ ही दूध, फल, सब्ज़ी और खाद्य सामग्री की सप्लाई भी अटक गई है। कई ट्रक राजमार्ग पर खड़े हैं और लंबा जाम लग गया है।

    2. ज़रूरी सामान की कमी
      किराना दुकानों और सब्ज़ी मंडियों में स्टॉक कम होने लगा है। दूध और फल-सब्ज़ी जैसे नाशवान सामान समय पर नहीं पहुँच पाने से बर्बाद हो रहे हैं। इससे कीमतों में अचानक बढ़ोतरी हो गई है।

    3. व्यापार पर असर
      स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि रोज़ का कारोबार आधा हो गया है। कई छोटे दुकानदारों को तो दुकानें बंद करनी पड़ी हैं। तिनसुकिया, जो असम का व्यावसायिक केंद्र माना जाता है, इस नाकेबंदी से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है।

    4. जनजीवन पर असर
      आम नागरिकों को दूध, दाल, आटा और दवाइयों जैसी आवश्यक चीज़ें महँगी कीमतों पर खरीदनी पड़ रही हैं। गरीब और मध्यम वर्ग पर सीधा असर पड़ा है।

    प्रशासन की प्रतिक्रिया और वार्ता

    असम प्रशासन ने स्थिति संभालने के लिए पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को तैनात किया है। अभी तक नाकेबंदी शांतिपूर्ण रही है और किसी भी प्रकार की हिंसा की खबर नहीं आई है।

    • प्रशासनिक वार्ता: जिला प्रशासन ने आंदोलनकारी छात्रों से बातचीत शुरू की है और जल्द समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।

    • सरकार की चिंता: राज्य सरकार चाहती है कि नाकेबंदी खत्म हो ताकि सामान्य जनजीवन और व्यापार पटरी पर लौट सके। वहीं, केंद्र सरकार को भी समुदाय की मांग पर जल्द निर्णय लेने का दबाव बढ़ रहा है।

    नाकेबंदी से बढ़ता संकट

    1. चाय उद्योग प्रभावित
      असम चाय के लिए विश्व प्रसिद्ध है। तिनसुकिया इलाके के चाय बागानों से निर्यात पर असर पड़ रहा है, जिससे उद्योग को आर्थिक नुकसान हो रहा है।

    2. तेल और कोयला उद्योग पर असर
      असम के तेल और कोयला उद्योग को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उत्पादन जारी है, लेकिन माल की ढुलाई रुक गई है।

    3. सीमा पार असर
      तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी सामान सप्लाई होता है। नाकेबंदी की वजह से इन इलाकों में भी ज़रूरी वस्तुओं की कमी होने लगी है।

    जनता की आवाज़

    स्थानीय निवासियों का कहना है कि आंदोलनकारी छात्रों की मांग भले ही जायज़ हो, लेकिन इस तरह की नाकेबंदी से आम जनता को सबसे ज़्यादा परेशानी होती है।

    एक व्यापारी ने बताया,
    “हमारी दुकान में दाल और तेल का स्टॉक खत्म होने वाला है। सप्लाई नहीं आने से ग्राहक नाराज़ हो रहे हैं और रोज़ का कारोबार आधा हो गया है।”

    एक स्थानीय महिला ने कहा,
    “दूध और सब्ज़ियों की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। घर चलाना मुश्किल हो रहा है। सरकार को जल्द कदम उठाना चाहिए।”

    अगर नाकेबंदी और लंबी चली तो नुकसान और भी बढ़ सकता है। आर्थिक रूप से पहले से जूझ रहे छोटे व्यापारी और किसान इससे और अधिक संकट में आ सकते हैं।

    राज्य और केंद्र सरकार के सामने अब चुनौती है कि मोरान समुदाय की मांग को संवैधानिक ढंग से हल करें और जनता को राहत पहुँचाएँ।

    तिनसुकिया की आर्थिक नाकेबंदी ने यह साफ कर दिया है कि किसी भी क्षेत्र की सप्लाई चेन कितनी संवेदनशील होती है। चौथे दिन तक स्थिति बिगड़ने लगी है और अगर सरकार ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह संकट और गहरा सकता है।

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