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नेपाल में बीते दिनों हुए Gen Z प्रदर्शन ने पूरे देश का राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। सोशल मीडिया पर युवाओं की अगुवाई वाले इन विरोध प्रदर्शनों में जगह-जगह पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव देखने को मिला। इस बीच कई रिपोर्टों में दावा किया गया कि सुरक्षा बलों को “गोली चलाने का आदेश” दिया गया था। लेकिन अब नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और सीपीएन-यूएमएल (UML) अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने इस तरह के आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है।
शनिवार को मीडिया से बातचीत करते हुए ओली ने कहा:
👉 “यह पूरी तरह से झूठ है कि सरकार या किसी उच्च स्तर से सुरक्षा बलों को गोली चलाने का आदेश दिया गया। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को केवल न्यूनतम बल प्रयोग करने का निर्देश दिया गया था।”
ओली ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह युवाओं की भावनाओं को भड़काकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है।
नेपाल में हाल ही में Gen Z (युवा वर्ग) ने बेरोज़गारी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन शुरू किया था।
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सोशल मीडिया के ज़रिए इन प्रदर्शनों को बड़ी संख्या में समर्थन मिला।
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कई जगह पुलिस और युवाओं के बीच झड़प हुई, जिसमें कुछ लोग घायल भी हुए।
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सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए, जिनमें पुलिस लाठीचार्ज और फायरिंग जैसी घटनाओं का दावा किया गया।
इन्हीं वीडियो के आधार पर सरकार पर आरोप लगे कि उसने सुरक्षा बलों को गोली चलाने का आदेश दिया था।
मुख्य विपक्षी दलों और कुछ मानवाधिकार संगठनों ने कहा कि सरकार ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया और युवाओं पर गोली चलाई गई। विपक्ष ने सरकार से इस मामले पर जवाबदेही तय करने की मांग की।
ओली ने इन आरोपों को न केवल खारिज किया, बल्कि कहा कि विपक्ष जानबूझकर झूठ फैला रहा है।
उन्होंने कहा:
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“सुरक्षा बलों का काम केवल भीड़ को नियंत्रित करना था।”
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“गोली चलाने का आदेश देने का सवाल ही नहीं उठता।”
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“कुछ विपक्षी नेता सोशल मीडिया पर वीडियो फैला कर देश में भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं।”
नेपाल में हुए इन प्रदर्शनों पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी नज़र रखी। कुछ संगठनों ने चिंता जताई कि युवाओं की आवाज़ को दबाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से पारदर्शिता और शांतिपूर्ण समाधान की अपील की।
Gen Z प्रदर्शनों ने नेपाल की राजनीति को नए सिरे से हिला दिया है।
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पहली बार इतने बड़े पैमाने पर युवाओं ने संगठित होकर राजनीतिक नेतृत्व को चुनौती दी।
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मौजूदा सरकार पर दबाव है कि वह युवाओं की समस्याओं को गंभीरता से ले और ठोस कदम उठाए।
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वहीं, विपक्ष इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ बड़े हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है।
हालांकि ओली ने साफ़ कहा है कि सरकार ने किसी भी तरह का “शूटआउट आदेश” नहीं दिया, लेकिन सच्चाई क्या है, यह जांच के बाद ही साफ़ होगी।
Gen Z प्रदर्शनों ने यह दिखा दिया है कि नेपाल की नई पीढ़ी अब चुप बैठने को तैयार नहीं है। बेरोज़गारी और अस्थिर राजनीति से परेशान युवा सड़कों पर उतरकर अपनी ताकत दिखा रहे हैं।
आने वाले समय में यह आंदोलन नेपाल की राजनीति की दिशा बदल सकता है और नेताओं को मजबूर कर सकता है कि वे युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता दें।








