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    तालिबान ने 7 महीने बाद छोड़ा ब्रिटिश बुजुर्ग दंपति को, क़तर की मध्यस्थता से हुआ रिहाई समझौता

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    अफगानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े के बाद से लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय और काबुल प्रशासन के बीच टकराव की खबरें आती रही हैं। इसी बीच एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। तालिबान ने ब्रिटिश बुजुर्ग दंपति को 7 महीने बाद रिहा कर दिया है, जिन्हें अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से हिरासत में लिया गया था। इस रिहाई के पीछे क़तर की मध्यस्थता को अहम माना जा रहा है।

    ब्रिटिश दंपति को करीब 7 महीने पहले तालिबान ने उस वक्त हिरासत में लिया था जब वे काबुल में मानवीय कार्यों के लिए आए थे। दोनों पर “विदेशी गतिविधियों और संवेदनशील क्षेत्रों में बिना अनुमति प्रवेश” का आरोप लगाया गया था।

    तालिबान सरकार ने तब स्पष्ट कहा था कि वे “सुरक्षा कारणों से हिरासत में लिए गए हैं और जांच के बाद ही रिहाई पर विचार किया जाएगा।”

    इस घटना के बाद ब्रिटेन और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था और लंदन ने लगातार अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी की मांग की थी।

    मध्यस्थता में सबसे अहम भूमिका क़तर ने निभाई। खाड़ी देश क़तर लंबे समय से तालिबान और पश्चिमी देशों के बीच पुल का काम करता आया है। इस मामले में भी दोहा (क़तर की राजधानी) में गुप्त वार्ताएं हुईं।

    क़तर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा –
    “हम यह पुष्टि करते हैं कि ब्रिटिश नागरिकों को तालिबान प्रशासन ने रिहा कर दिया है। हमारी प्राथमिकता हमेशा मानवीय मुद्दों पर मध्यस्थता करना है।”

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तालिबान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि सुधारने में मदद करेगा।

    ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने दंपति की रिहाई की पुष्टि की और क़तर सरकार का आभार जताया। ब्रिटिश विदेश सचिव ने कहा –
    “हम अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी पर बेहद राहत महसूस कर रहे हैं। हम क़तर के सहयोग और निरंतर समर्थन के लिए आभारी हैं।”

    हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि ब्रिटेन तालिबान को अब भी आधिकारिक मान्यता नहीं देगा जब तक वह “मानवाधिकार और महिलाओं की शिक्षा पर ठोस कदम नहीं उठाता।”

    विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना तालिबान और यूरोप के रिश्तों में कुछ सकारात्मक संकेत देती है।

    • तालिबान पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि वह विदेशी नागरिकों को राजनीतिक सौदेबाजी के लिए बंधक बनाता है।

    • इस रिहाई को पश्चिमी देशों ने एक सकारात्मक इशारे के तौर पर लिया है, हालांकि तालिबान की नीतियों को लेकर संदेह बरकरार है।

    अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि क़तर की मध्यस्थता ने एक बार फिर उसकी राजनयिक ताकत को उजागर किया है।

    रिहा किए गए ब्रिटिश दंपति की उम्र 70 साल से अधिक बताई जा रही है। उन्हें काबुल से सुरक्षित तरीके से क़तर ले जाया गया, जहां उनकी मेडिकल जांच हुई।
    डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी हालत स्थिर है, हालांकि हिरासत के महीनों ने उनकी सेहत पर असर डाला है।

    परिवार ने मीडिया को दिए बयान में कहा –
    “हम शुक्रगुजार हैं कि हमारे माता-पिता सुरक्षित घर लौट रहे हैं। यह हमारे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं।”

    तालिबान द्वारा ब्रिटिश दंपति की रिहाई एक बड़ा कदम है, जो दर्शाता है कि संगठन अब अंतरराष्ट्रीय दबाव और मध्यस्थता को नजरअंदाज नहीं कर सकता। हालांकि, सवाल यह है कि क्या यह केवल एक कूटनीतिक चाल है या तालिबान वास्तव में अपनी वैश्विक छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है।

    किसी भी सूरत में, यह रिहाई उन परिवारों के लिए राहत लेकर आई है, जो अपने प्रियजनों को महीनों से बंदी बनाए जाने की पीड़ा झेल रहे थे।

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