




उत्तर प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में अब एक नया बदलाव किया गया है। गाजीपुर जिले में इस योजना के तहत अब विवाह से पहले वर-वधू का आधार आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। जिला प्रशासन का कहना है कि यह कदम योजना को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार साबित होगा।
पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास
इस योजना के तहत पहले विवाह के लिए आवेदन और चयन की प्रक्रिया कागजी कार्रवाई पर आधारित होती थी। कई बार शिकायतें सामने आती थीं कि कुछ लोग फर्जी नाम, दोहराए गए दस्तावेज या गलत जानकारी देकर योजना का लाभ ले लेते हैं। इसके चलते वास्तविक लाभार्थियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
अब नई व्यवस्था में आधार कार्ड से जुड़े बायोमेट्रिक सत्यापन के जरिए ऐसे फर्जीवाड़ों पर रोक लगाई जाएगी। हर वर-वधू की पहचान उनकी अंगुलियों और आंखों की स्कैनिंग से की जाएगी ताकि कोई भी गलत दस्तावेज या पहचान पत्र का उपयोग न कर सके।
लक्ष्य और तैयारी
जिले में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 788 जोड़ों का विवाह कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें से अब तक 600 जोड़ों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। प्रशासन ने साफ किया है कि शेष जोड़े भी समय सीमा के भीतर आवेदन कर सकते हैं।
नवंबर 2025 के पहले सप्ताह में सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन प्रस्तावित है। इस मौके पर जिले भर से पात्र जोड़ों को योजना के तहत विवाह कराया जाएगा।
योजना का उद्देश्य
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का मुख्य उद्देश्य है कि गरीब, मजदूर और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों का विवाह सम्मानजनक तरीके से हो। सरकार इसके तहत प्रत्येक जोड़े को आर्थिक सहायता और आवश्यक सामान उपलब्ध कराती है।
इस योजना में शामिल जोड़ों को विवाह के दिन उपहार सामग्री, नकद सहायता और गृहस्थी की जरूरत का सामान दिया जाता है। यही वजह है कि यह योजना समाज के कमजोर तबके के लिए बड़ी राहत मानी जाती है।
फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम
योजना में समय-समय पर फर्जीवाड़े और गलत लाभ लेने की खबरें आती रही हैं। कहीं एक ही जोड़े ने अलग-अलग जिलों में योजना का लाभ उठाने की कोशिश की, तो कहीं पर ऐसे मामले सामने आए जिनमें शादी के नाम पर गलत लोगों को लाभ पहुंचाया गया।
अब बायोमेट्रिक सत्यापन से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल वास्तविक और पात्र लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिले। यह व्यवस्था न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाएगी बल्कि जनता का विश्वास भी मजबूत करेगी।
तकनीक से बढ़ेगा भरोसा
जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से योजना की विश्वसनीयता बढ़ेगी। डिजिटल तकनीक का उपयोग करने से प्रक्रिया में तेजी भी आएगी और दस्तावेजों की जांच की जटिलताओं को दूर किया जा सकेगा।
बायोमेट्रिक डेटा सीधे आधार सर्वर से जुड़ेगा, जिससे किसी भी तरह की हेराफेरी असंभव होगी। साथ ही, आवेदन से लेकर सत्यापन और विवाह आयोजन तक की पूरी प्रक्रिया अब और अधिक सुव्यवस्थित व सुरक्षित होगी।
स्थानीय स्तर पर उत्साह
गाजीपुर के ग्रामीण इलाकों में इस नई व्यवस्था को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। कई परिवारों ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि अब योजना का लाभ सही पात्र लोगों को मिलेगा। वहीं कुछ लोगों ने यह भी कहा कि नई तकनीकी प्रक्रिया से शुरू में थोड़ी दिक्कत हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह व्यवस्था लाभकारी साबित होगी।
समारोह की तैयारियां
नवंबर में होने वाले सामूहिक विवाह समारोह की तैयारियां भी तेज हो गई हैं। जिले के अधिकारी और कर्मचारी जोड़ों के पंजीकरण, सत्यापन और कार्यक्रम स्थल की तैयारी में जुटे हुए हैं। उम्मीद है कि इस बार का आयोजन न केवल भव्य होगा बल्कि पूरी तरह से पारदर्शी और तकनीक आधारित भी होगा।
गाजीपुर जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में वर-वधू का बायोमेट्रिक सत्यापन अनिवार्य करना एक ऐतिहासिक कदम कहा जा सकता है। इससे न केवल योजना में पारदर्शिता आएगी बल्कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों तक इसका वास्तविक लाभ पहुंचेगा।
सरकार की यह कोशिश समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और उनका विश्वास जीतने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।