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भारत की खाद्य सुरक्षा को लेकर एक बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। सरकारी गोदामों में इस समय चावल और गेहूं का भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है। चावल का स्टॉक पिछले साल की तुलना में 14% अधिक है, जबकि गेहूं का भंडार भी पिछले चार वर्षों में सबसे ऊँचे स्तर पर है। इन आंकड़ों से साफ है कि भारत अब खाद्य सुरक्षा को लेकर पूरी तरह टेंशन फ्री है।
चावल का रिकॉर्ड भंडार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 की शुरुआत तक चावल का भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया। यह भंडार पिछले वर्ष की तुलना में 14% अधिक है। इसका मुख्य कारण है किसानों से हुई अधिक खरीद और बेहतर उत्पादन।
भारत में चावल प्रमुख खाद्यान्न फसल है, जो देश की खाद्य सुरक्षा का बड़ा हिस्सा संभालती है। रिकॉर्ड भंडार न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि भारत को वैश्विक बाजार में निर्यात बढ़ाने का अवसर भी देगा।
गेहूं का चार साल का सबसे ऊँचा भंडार
किसानों से रिकॉर्ड खरीद के चलते गेहूं का भंडार भी चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया है। यह स्थिति इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में गेहूं की उपलब्धता और कीमतों को लेकर चिंताएँ बनी हुई थीं।
सरकार अब इस भंडार का इस्तेमाल ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत कर सकती है, जिससे खुले बाजार में गेहूं की बिक्री कर कीमतों को बढ़ने से रोका जा सकेगा।
खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर भारत
इन भंडारों ने साबित कर दिया है कि भारत खाद्य सुरक्षा को लेकर पूरी तरह आत्मनिर्भर है। चावल और गेहूं जैसे मुख्य खाद्यान्न में पर्याप्त स्टॉक का होना मतलब है कि किसी भी आपात स्थिति या वैश्विक संकट के दौरान भी भारत अपनी जनता को सुरक्षित खाद्य आपूर्ति कर सकता है।
कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारत ने अपने मजबूत खाद्यान्न स्टॉक के दम पर करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया था। अब मौजूदा स्थिति ने भारत की क्षमता को और मजबूती दी है।
किसानों से रिकॉर्ड खरीद
सरकारी एजेंसियों ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के जरिए किसानों से रिकॉर्ड स्तर पर खरीद की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की बढ़ी हुई मात्रा से न केवल किसानों को बेहतर आय मिली है बल्कि सरकारी भंडार भी मजबूत हुए हैं।
इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिला है और कृषि क्षेत्र में निवेश की संभावनाएँ बढ़ी हैं।
कीमतों पर नियंत्रण
बाजार में खाद्यान्न की उपलब्धता जितनी अधिक होगी, कीमतों पर दबाव उतना ही कम होगा।
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चावल का रिकॉर्ड भंडार घरेलू उपभोक्ताओं के लिए स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
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गेहूं का ऊँचा भंडार सरकार को खुले बाजार में हस्तक्षेप करने और मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण रखने में मदद करेगा।
इससे महंगाई पर काबू पाने में भी सहायता मिलेगी।
निर्यात की नई संभावनाएँ
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है। अब रिकॉर्ड स्टॉक के चलते भारत वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी और बढ़ा सकता है।
खासकर अफ्रीका, मध्य एशिया और खाड़ी देशों में भारत से चावल की भारी मांग रहती है। अधिक स्टॉक होने से न केवल घरेलू आपूर्ति सुरक्षित रहेगी बल्कि निर्यात से विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत होगा।
वैश्विक संदर्भ में भारत की स्थिति
दुनिया के कई देश इस समय खाद्य संकट और मूल्य वृद्धि का सामना कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन, युद्ध और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटों ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। ऐसे माहौल में भारत का खाद्य भंडार स्थिरता और आत्मनिर्भरता का संकेत है।
भारत अब केवल घरेलू जरूरतों तक सीमित नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खाद्य आपूर्ति में सहयोगी बन सकता है।
चुनौतियाँ अभी बाकी
हालांकि रिकॉर्ड भंडार राहत की खबर है, लेकिन चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं। भंडारण क्षमता को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। अक्सर देखा गया है कि उचित गोदाम न होने से लाखों टन अनाज खराब हो जाता है। लॉजिस्टिक्स और वितरण प्रणाली को और मजबूत करना होगा ताकि भंडार केवल आंकड़ों में न रह जाए, बल्कि ज़रूरतमंद तक समय पर पहुँचे। कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन और मानसून पर निर्भरता अब भी एक बड़ी चुनौती है।
भारत का चावल और गेहूं का रिकॉर्ड भंडार यह दर्शाता है कि देश खाद्य सुरक्षा को लेकर पूरी तरह निश्चिंत है। चावल का 14% अधिक स्टॉक और गेहूं का चार साल का उच्चतम भंडार सरकार को न केवल कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद करेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत को और मजबूत बनाएगा।








