




भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserve) लगातार बढ़ रहा है और यह लगातार तीसरे सप्ताह रिकार्ड ऊँचाई के करीब पहुँच गया है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 12 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भंडार में 4.7 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे कुल भंडार $700 बिलियन के पार पहुँच गया।
यह लगातार तीसरी बार है जब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होकर नए स्तर तक पहुंचा है। इससे पहले 5 सितंबर को समाप्त सप्ताह में भंडार में 4.03 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी।
विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व
विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की आर्थिक मजबूती और अंतरराष्ट्रीय भुगतान क्षमता का प्रमुख संकेतक होता है। यह भंडार आयात और निर्यात के संतुलन में सहायक होता है। मुद्रा के मूल्य स्थिर रखने में मदद करता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भरोसा बढ़ाता है।
$700 बिलियन के स्तर को पार करना भारत की आर्थिक मजबूती और विदेशी निवेशकों के लिए विश्वास का संकेत है।
सोना खरीद में तेजी
भंडार बढ़ने के साथ सोना खरीद में भी तेजी देखी गई। RBI द्वारा सोना खरीदना विदेशी मुद्रा भंडार को विविधता प्रदान करता है और इसे सुरक्षित रखने का एक तरीका माना जाता है। सोने की खरीद से भंडार का मूल्य स्थिर रहता है। वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव के दौरान यह एक सुरक्षित निवेश विकल्प है। इस सप्ताह भी सोने की खरीद ने भंडार में वृद्धि में अहम भूमिका निभाई है।
लगातार तीन सप्ताह की वृद्धि
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार तीन सप्ताह से बढ़ रहा है। 5 सितंबर तक 4.03 अरब डॉलर की वृद्धि हुई। 12 सितंबर को 4.7 अरब डॉलर और जुड़ा। इस लगातार बढ़ती प्रवृत्ति से यह स्पष्ट होता है कि भारत की विदेशी मुद्रा स्थिति मजबूत और स्थिर है।
वैश्विक और घरेलू कारक
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के पीछे कई कारण हैं:
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निर्यात में मजबूती: भारत का निर्यात लगातार बढ़ रहा है, विशेषकर आईटी, फार्मा और रसायन उद्योग में।
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विदेशी निवेश में वृद्धि: FDI और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में तेज़ी।
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RBI की रणनीति: रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा और सोने की खरीद के माध्यम से भंडार को मजबूत रख रहा है।
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वैश्विक आर्थिक उतार-चढ़ाव: वैश्विक वित्तीय अस्थिरता के बीच सुरक्षित भंडार की मांग बढ़ी है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है।
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मुद्रा स्थिरता: रुपये के मूल्य में स्थिरता बनी रहती है।
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आयात लागत नियंत्रित: आयात किए जाने वाले कच्चे माल की लागत पर सकारात्मक असर पड़ता है।
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निवेशकों का विश्वास: विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने का भरोसा बढ़ता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि $700 बिलियन का स्तर पार करना आर्थिक सुरक्षा और व्यापार स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
भविष्य की संभावनाएँ
RBI की मौद्रिक नीति और वैश्विक व्यापारिक स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि भंडार में स्थिर वृद्धि से भारत को वैश्विक वित्तीय संकट से निपटने में मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय व्यापार में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी। विदेशी निवेश को आकर्षित करने में लाभ होगा। भंडार में वृद्धि के लगातार तीन सप्ताह, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति और विश्वसनीयता का संकेत हैं।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़कर $700 बिलियन के पार पहुँच गया है। लगातार तीसरे सप्ताह भंडार में वृद्धि और सोने की खरीद से यह साबित होता है कि भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत और स्थिर है।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि भारत की मुद्रा, व्यापार और निवेश की स्थिति को मजबूत करती है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक स्तर पर विश्वास और स्थिरता का प्रतीक है।