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    लखनऊ: 13 वर्षीय छात्र ऑनलाइन गेमिंग गैंग के जाल में फंसा, 14 लाख उड़ाने के बाद की आत्महत्या

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    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां महज 13 साल के एक बच्चे ने ऑनलाइन गेम की लत और साइबर अपराधियों के दबाव में आकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।
    कक्षा 6 के छात्र यश कुमार का शव कुछ दिन पहले घर में फंदे से लटका मिला। जांच में जो बातें सामने आईं, उन्होंने न सिर्फ पुलिस बल्कि पूरे समाज को झकझोर दिया।

    ऑनलाइन गेम की लत बनी जानलेवा

    यश कुमार को ऑनलाइन गेम ‘फ्री फायर’ की लत थी। शुरुआत में उसने यह गेम शौक से खेलना शुरू किया। लेकिन धीरे-धीरे वह इतना लती हो गया कि उसका पढ़ाई-लिखाई से मन हटने लगा। परिजनों ने कई बार टोकने की कोशिश की, मगर यश इस वर्चुअल दुनिया से बाहर नहीं निकल पाया।
    जांच में यह भी सामने आया कि गेम खेलने के बहाने उसने साइबर ठगों से संपर्क बना लिया।

    बैंक खाते से 14 लाख रुपये उड़ाए

    पुलिस जांच के मुताबिक, यश ने अपने पिता के बैंक खाते से 14 लाख रुपये ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के जरिए साइबर गैंग तक पहुंचाए। माना जा रहा है कि बिहार में सक्रिय एक ऑनलाइन गेमिंग गैंग ने उसे अपने जाल में फंसा लिया था।
    यश से पैसे निकलवाने के लिए उसे पहले गेम में रिचार्ज और रिवॉर्ड का लालच दिया गया। धीरे-धीरे रकम बढ़ती गई और अंततः परिवार को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

    साइबर गैंग की करतूत

    पुलिस सूत्रों के अनुसार, बिहार में सक्रिय यह गिरोह बच्चों को ऑनलाइन गेम के जरिए फंसाकर उनसे मोटी रकम ऐंठ रहा है। वे बच्चों को महंगे रिवॉर्ड, वर्चुअल गन और लेवल अपग्रेड के नाम पर भारी पैसे खर्च करने के लिए उकसाते हैं।
    यश जैसे मासूम बच्चे इनकी चाल में फंसकर पैसे देने लगे और जब हालात काबू से बाहर हो गए, तो उसने आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठा लिया।

    परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

    घटना के बाद परिवार सदमे में है। पिता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उन्हें खाते से रकम गायब होने की जानकारी तब मिली, जब बैंक से मैसेज आने लगे।
    पिता का कहना है कि उन्होंने बेटे को कई बार गेम छोड़ने के लिए समझाया, लेकिन साइबर गैंग ने उसे इस तरह फंसा लिया था कि वह बाहर निकल ही नहीं पाया।

    समाज और अभिभावकों के लिए चेतावनी

    यह घटना ऑनलाइन गेमिंग के खतरनाक पहलू को उजागर करती है। आजकल बच्चे स्मार्टफोन पर घंटों गेम खेलते हैं और अभिभावक इसे सामान्य मान लेते हैं। लेकिन इस लत का नतीजा कितना खतरनाक हो सकता है, लखनऊ की यह घटना इसका बड़ा उदाहरण है।
    विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन गेम की लत मानसिक दबाव, अवसाद और आत्महत्या जैसी घटनाओं को जन्म दे रही है। बच्चों पर लगातार निगरानी और डिजिटल समय पर नियंत्रण बेहद जरूरी है।

    प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई

    मामले के सामने आने के बाद लखनऊ पुलिस ने साइबर सेल की मदद से जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में बिहार के कुछ संदिग्ध मोबाइल नंबर और डिजिटल वॉलेट्स की जानकारी मिली है।
    पुलिस का कहना है कि इस पूरे गैंग का नेटवर्क बिहार से ऑपरेट हो रहा है और बच्चों को गेमिंग प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के जरिए टारगेट किया जा रहा है।
    आईजी रेंज ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि साइबर अपराधियों के खिलाफ जल्द बड़ी कार्रवाई होगी।

    ऑनलाइन गेमिंग पर सरकार की चिंता

    हाल के वर्षों में ‘फ्री फायर’, ‘PUBG’, और अन्य गेम्स की लत से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। केंद्र और राज्य सरकारें पहले ही बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की लत को लेकर चिंता जाहिर कर चुकी हैं।
    विशेषज्ञों की राय है कि अब समय आ गया है कि सरकार सख्त कानून और डिजिटल निगरानी लागू करे, ताकि बच्चों को इस साइबर जाल से बचाया जा सके।

    समाज में गूंज उठा सवाल

    लखनऊ की इस घटना ने हर घर में एक सवाल खड़ा कर दिया है – क्या हम अपने बच्चों की डिजिटल दुनिया पर नजर रख रहे हैं?
    माता-पिता को अब यह समझना होगा कि स्मार्टफोन और इंटरनेट केवल पढ़ाई और मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि एक खतरनाक जाल भी साबित हो सकता है।

    मोहनलालगंज का यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन के लिए एक चेतावनी है।
    साइबर अपराधी मासूम बच्चों को ऑनलाइन गेम के लालच में फंसाकर न केवल परिवारों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि निर्दोष जानें भी जा रही हैं।
    अब जरूरी है कि अभिभावक, समाज और सरकार मिलकर इस साइबर खतरे पर कड़ी निगरानी रखें और बच्चों को सुरक्षित डिजिटल माहौल प्रदान करें।

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