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    माइक्रोसॉफ्ट ने दी सलाह: H-1B और H-4 वीज़ा धारक अभी अमेरिका में ही रहें

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    अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और उनके परिवारों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। माइक्रोसॉफ्ट ने H-1B और H-4 वीज़ा धारकों को अभी अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है। कंपनी का कहना है कि मौजूदा इमिग्रेशन पॉलिसी और ट्रैवल से जुड़ी अनिश्चितताओं के चलते बाहर जाने पर उन्हें वापस लौटने में दिक्कत आ सकती है।

    अमेरिका में H-1B वीज़ा भारतीय टेक प्रोफेशनल्स के लिए सबसे अहम माना जाता है। हर साल हजारों भारतीय इस वीज़ा के जरिए अमेरिका में नौकरी करते हैं।
    वहीं, H-4 वीज़ा उनके परिवार के सदस्यों को दिया जाता है। हाल के महीनों में अमेरिकी प्रशासन ने वीज़ा प्रोसेसिंग और ट्रैवल पॉलिसी में सख्ती दिखाई है।

    माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों और व्यापक आईटी समुदाय को चेताया कि किसी भी तरह का ट्रैवल रिस्क उनकी नौकरी और रेसिडेंसी स्टेटस को प्रभावित कर सकता है।

    कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा:
    “हम अपने ग्लोबल कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुरक्षा और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं। मौजूदा परिस्थितियों में हम H-1B और H-4 धारकों को सलाह देते हैं कि वे अमेरिका से बाहर जाने की बजाय यहीं रहें। इससे उनके रोजगार और लीगल स्टेटस पर कोई संकट नहीं आएगा।”

    1. वीज़ा प्रोसेसिंग में देरी:
      कई बार अमेरिका छोड़ने के बाद वापस एंट्री के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।

    2. नई पॉलिसी का खतरा:
      ट्रंप प्रशासन के बाद भी अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसी में बदलाव लगातार जारी है।

    3. जॉब सिक्योरिटी:
      कंपनियों को डर है कि वीज़ा संबंधी जटिलताओं के कारण टैलेंट लॉस हो सकता है।

    इस घोषणा से सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय प्रोफेशनल्स होंगे क्योंकि H-1B वीज़ा धारकों में भारतीयों की हिस्सेदारी 70% से अधिक है।
    भारत से हर साल लाखों इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स और आईटी एक्सपर्ट अमेरिका में काम करने जाते हैं।

    विशेषज्ञों का मानना है कि माइक्रोसॉफ्ट का यह कदम प्रोएक्टिव मेजर है ताकि कर्मचारी किसी भी तरह की लीगल परेशानी में न फंसें।

    सिर्फ माइक्रोसॉफ्ट ही नहीं, गूगल, अमेज़न और मेटा जैसी अन्य टेक कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को ट्रैवल के दौरान सतर्क रहने की सलाह दे रही हैं।
    पिछले साल भी कई भारतीय कर्मचारियों को हवाई अड्डों पर रोका गया था क्योंकि उनके वीज़ा कागजात अपडेटेड नहीं थे।

    इमिग्रेशन वकीलों का कहना है कि जो लोग H-1B या H-4 वीज़ा पर हैं, उन्हें यात्रा से पहले अपनी लीगल डॉक्यूमेंटेशन चेक करनी चाहिए।
    “अगर जरूरी न हो तो फिलहाल बाहर जाने से बचना ही सुरक्षित विकल्प है।”

    माइक्रोसॉफ्ट की यह सिफारिश सिर्फ उनके कर्मचारियों के लिए नहीं बल्कि अमेरिका में रह रहे सभी H-1B और H-4 वीज़ा धारकों के लिए एक चेतावनी है।
    वर्तमान परिस्थिति में यह साफ है कि भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को सावधानी बरतते हुए अमेरिका में रहकर ही अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहिए।

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