




बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव का परिवार हमेशा सुर्खियों में रहा है। अब जबकि बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, परिवार के भीतर की खींचतान खुलकर सामने आने लगी है। रोहिणी आचार्य, तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच मतभेदों ने पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है।
लालू यादव की बेटी और अमेरिका से लौटकर राजनीति में सक्रिय हुईं रोहिणी आचार्य लगातार सोशल मीडिया और जनसभाओं के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
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वे अक्सर भाजपा और एनडीए के खिलाफ तीखे बयान देती हैं।
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साथ ही, पार्टी की रणनीति और संगठनात्मक मुद्दों पर भी खुलकर राय रखती हैं।
हाल ही में उन्होंने पार्टी के कुछ फैसलों पर सवाल उठाए, जिसे तेज प्रताप और तेजस्वी खेमे ने नकारात्मक रूप से लिया।
लालू परिवार के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव का हमेशा से ही बेबाक बयानबाजी के लिए नाम रहा है।
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उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि पार्टी में “बाहरी हस्तक्षेप” की जरूरत नहीं है।
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यह टिप्पणी सीधे-सीधे रोहिणी आचार्य पर तंज मानी गई।
तेज प्रताप ने यह भी संकेत दिया कि पार्टी में नेतृत्व को लेकर विवाद खड़ा करना सही नहीं है। उनके इस रुख से RJD में आंतरिक मतभेद और गहरे हो गए।
RJD के नेता प्रतिपक्ष और लालू यादव के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव खुद इस विवाद के केंद्र में हैं।
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वे बिहार की राजनीति में युवा चेहरे के तौर पर स्थापित हो चुके हैं।
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लेकिन परिवार के भीतर की खींचतान उनके नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रही है।
तेजस्वी के लिए यह स्थिति मुश्किल भरी है क्योंकि उन्हें पार्टी संगठन को भी संभालना है और चुनावी मोर्चे पर भी मजबूती से उतरना है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि चुनावी समय पर इस तरह की आंतरिक कलह किसी भी पार्टी के लिए नुकसानदेह होती है।
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RJD बिहार में महागठबंधन का सबसे बड़ा घटक है।
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लेकिन अगर परिवार और पार्टी के नेता एकजुट नहीं हुए तो इसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर पड़ेगा।
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भाजपा और जेडीयू इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं।
लालू प्रसाद यादव उम्र और बीमारी के कारण अब सक्रिय राजनीति से लगभग दूर हो चुके हैं।
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लेकिन परिवार और पार्टी दोनों में उनका प्रभाव अब भी है।
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सूत्रों के अनुसार, लालू यादव ने परिवार के सदस्यों को शांत रहने और आपसी विवाद से दूर रहने की सलाह दी है।
हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी अपील से हालात सुधरते हैं या विवाद और गहराता है।
रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप यादव दोनों ही सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं।
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रोहिणी अक्सर ट्वीट और पोस्ट के जरिए अपनी राय रखती हैं।
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तेज प्रताप भी अपने बयानों से चर्चा में रहते हैं।
यह “सोशल मीडिया पॉलिटिक्स” अब पार्टी के भीतर की खींचतान को सार्वजनिक बना रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह RJD की नेतृत्व संरचना और भविष्य की राजनीति से जुड़ा है।
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तेजस्वी को पार्टी का चेहरा माना जाता है, लेकिन रोहिणी की सक्रियता से नया समीकरण बन रहा है।
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तेज प्रताप का असंतोष भी पार्टी की एकता को कमजोर कर सकता है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर परिवार एकजुट नहीं हुआ तो यह RJD के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
बिहार चुनाव से पहले लालू परिवार की सियासी खींचतान ने RJD की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रोहिणी आचार्य की सक्रियता, तेज प्रताप की नाराजगी और तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर सवाल अब सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा बन चुके हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या लालू यादव परिवार को एकजुट कर पाएंगे या फिर यह विवाद पार्टी की चुनावी रणनीति पर भारी पड़ेगा।