




गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम आदेश देते हुए मर्डर और साजिश के आरोपी दरगाहवाला की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अमेरिका जाकर कैंसर का इलाज कराने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने साफ कहा कि भारत में कैंसर उपचार की उच्च स्तरीय और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं और ऐसे में आरोपी को विदेश जाकर इलाज कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह फैसला न केवल कानून और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण है बल्कि भारत की मेडिकल व्यवस्था पर भी न्यायपालिका का भरोसा दर्शाता है।
मामला क्या है?
दरगाहवाला नामक आरोपी पर हत्या और साजिश का गंभीर आरोप है। वह लंबे समय से जेल में है और अदालत में उसकी कई याचिकाएं लंबित हैं। हाल ही में उसने यह दलील दी कि उसे कैंसर का इलाज कराना है और इसके लिए वह अमेरिका जाना चाहता है। आरोपी ने कोर्ट के सामने कहा कि उसे विदेश में अधिक उन्नत इलाज मिलेगा और उसकी जिंदगी बच सकती है।
हाईकोर्ट का रुख
गुजरात हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि भारत अब किसी भी तरह से मेडिकल सुविधाओं में पिछड़ा नहीं है। खासकर कैंसर जैसे गंभीर रोग के इलाज के लिए देशभर में अनेक संस्थान और अस्पताल विश्व स्तरीय उपचार प्रदान कर रहे हैं। कोर्ट ने एम्स (AIIMS), टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट समेत कई संस्थानों का उल्लेख किया और कहा कि आरोपी को वहीं इलाज कराया जा सकता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी होने के नाते दरगाहवाला को कानूनन जेल की हिरासत से बाहर जाने की अनुमति केवल विशेष परिस्थितियों में दी जा सकती है। लेकिन जब देश में ही पूरी तरह से सक्षम और उच्च गुणवत्ता वाले इलाज की सुविधा मौजूद है, तो उसे विदेश जाने की इजाजत देने का कोई औचित्य नहीं है।
न्याय और मेडिकल सुविधा का संतुलन
यह फैसला न्यायपालिका की उस सोच को भी दर्शाता है जिसमें न्याय और मेडिकल सुविधा के बीच संतुलन बनाया गया है। आरोपी ने कोर्ट पर दबाव डालने के लिए अपनी बीमारी का हवाला दिया, लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि बीमारी गंभीर होने पर भी कानून से छूट नहीं मिल सकती। साथ ही, यह संदेश भी दिया कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा किया जाए।
भारत में कैंसर इलाज की स्थिति
भारत में कैंसर का इलाज अब वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। देश में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल (मुंबई), एम्स (दिल्ली), अपोलो हॉस्पिटल्स, गुजरात कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट (अहमदाबाद) जैसे अस्पताल अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ इलाज प्रदान कर रहे हैं। इन अस्पतालों में न केवल भारतीय मरीज बल्कि विदेशी मरीज भी इलाज कराने आते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने कैंसर उपचार में नई तकनीक अपनाई है जैसे — इम्यूनोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी, प्रोटोन थैरेपी और एडवांस रेडिएशन तकनीक। इन सुविधाओं के कारण अब मरीजों को विदेश जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
आरोपी की दलील और कोर्ट का जवाब
दरगाहवाला ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि अमेरिका में उसके परिचित डॉक्टर हैं और वहीं जाकर वह आराम से इलाज करा सकता है। इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह कोई व्यक्तिगत सुविधा का मामला नहीं है बल्कि कानून और न्याय का विषय है। आरोपी को जेल से बाहर जाने की अनुमति तभी दी जा सकती है जब देश में इलाज संभव न हो। लेकिन चूंकि भारत में पूरी सुविधा है, इसलिए याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।
समाज पर संदेश
इस फैसले का एक और पहलू यह है कि समाज में उन अपराधियों को गलत संदेश न मिले कि बीमारी का बहाना बनाकर वे जेल से बाहर आ सकते हैं या विदेश जा सकते हैं। अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि न्याय व्यवस्था पर कोई आंच न आए।
आगे की राह
कोर्ट ने जेल प्रशासन और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि आरोपी को भारत में ही बेहतर कैंसर उपचार उपलब्ध कराया जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि उसकी मेडिकल स्थिति का नियमित परीक्षण होता रहे।
गुजरात हाईकोर्ट का यह फैसला न्यायिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरफ यह संदेश देता है कि कानून सबके लिए समान है और अपराधियों को किसी भी विशेष सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। दूसरी तरफ यह भी दिखाता है कि भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था, खासकर कैंसर उपचार के क्षेत्र में, अब विश्वस्तरीय बन चुकी है। आरोपी दरगाहवाला को इलाज मिलेगा, लेकिन उसी देश में जहां उसने अपराध किया है और जहां कानून उसे सजा दे रहा है।