• Create News
  • Nominate Now

    नीतीश कटारा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से किया इनकार

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    देश के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने सोमवार को विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता को कोई और राहत चाहिए, तो वह दिल्ली हाई कोर्ट में दोबारा याचिका दायर कर सकता है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने दिया, जो 9 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने विकास यादव की जमानत बढ़ाने से मना कर दिया था, जिसके खिलाफ यादव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

    सुनवाई के दौरान पीठ ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में कोई कानूनी त्रुटि नहीं है, और याचिकाकर्ता को वही मंच दोबारा अपनाना चाहिए। कोर्ट ने कहा:

    “हम इस स्तर पर हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। यदि याचिकाकर्ता को और राहत चाहिए, तो वह हाई कोर्ट में उचित याचिका दाखिल करे।”

    इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत की अवधि में किसी भी प्रकार का विस्तार देने से इनकार कर दिया।

    विकास यादव 2002 में हुए नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी ठहराए जा चुके हैं। अदालत ने उन्हें 25 वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। वह वर्तमान में जेल में सजा काट रहे हैं। पहले उन्हें अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए और हाल ही में विवाह के लिए कुछ दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी।

    विकास यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि उनकी मां की तबीयत गंभीर है, और उन्हें उनकी सेवा करने के लिए कुछ और समय चाहिए। साथ ही उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि उनकी शादी 5 सितंबर को हुई है, और वे अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिताना चाहते हैं।

    यह हत्याकांड साल 2002 में उस समय सुर्खियों में आया जब नीतीश कटारा, जो कि एक उद्यमी थे, को विकास यादव और उनके भाई विशाल यादव ने अगवा कर बेरहमी से हत्या कर दी थी। हत्या का कारण यह बताया गया कि नीतीश, विकास की बहन भारती यादव के साथ रिश्ते में थे, जिसे यादव परिवार स्वीकार नहीं कर रहा था।

    अदालत ने इसे ‘ऑनर किलिंग’ करार देते हुए दोषियों को कड़ी सजा दी थी। बाद में 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए 25 साल की निश्चित अवधि की सजा सुनाई।

    9 सितंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि एक दोषी को केवल अत्यंत आपात स्थिति या कानूनन प्रावधानों के अनुसार ही जमानत दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि:

    “कोई भी दोषी लगातार अंतरिम जमानत की मांग कर न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं कर सकता।”

    सुनवाई के दौरान, नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा की ओर से वकील ने तर्क दिया कि विकास यादव को बार-बार छूट देना, पीड़ित परिवार के न्याय के अधिकार का हनन होगा। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि आरोपी को उसकी सजा पूरी करने दी जाए।

    कानून विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय “दोषी को विशेष राहत देने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने” की दिशा में एक सख्त कदम है। यह फैसला भविष्य में ऐसे अन्य मामलों के लिए भी मिसाल बनेगा, जहां दोषी राहत के लिए बार-बार अदालत का रुख करते हैं।

    अब विकास यादव के पास केवल यही विकल्प बचा है कि वे दिल्ली हाई कोर्ट में नई जमानत याचिका दाखिल करें। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि यह मामला हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए वहां नए आधारों पर पुन: विचार संभव हो सकता है।

    नीतीश कटारा हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल पीड़ित पक्ष को राहत देता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि गंभीर अपराधों में दोषी पाए गए व्यक्तियों को बार-बार अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी।
    यह फैसला भारतीय न्याय प्रणाली की गंभीरता और सख्ती का प्रतीक है — जहां कानून सबके लिए समान है, चाहे अपराध कितना भी पुराना क्यों न हो।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    पूर्व IAS अधिकारी कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस में हुए शामिल, बोले– अब लोकतंत्र की लड़ाई राजनीति के भीतर से लड़नी होगी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी और नागरिक अधिकारों के प्रखर पैरोकार कन्नन गोपीनाथन ने सोमवार को आधिकारिक रूप से…

    Continue reading
    रील बनाती हर्षिता दवे बनीं 22 साल की उम्र में डिप्टी कलेक्टर, पीसीएस 2024 में महिला वर्ग में टॉप

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। इंदौर की 22 वर्षीय हर्षिता दवे की कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए यह उदाहरण…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *