




26 सितंबर 2025, शुक्रवार का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए सदमे से कम नहीं रहा। सेंसेक्स 800 अंकों से अधिक की गिरावट के साथ 80,359.93 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 50 भी फिसलकर 24,700 के नीचे चला गया। बाजार की यह गिरावट निवेशकों के होश उड़ा गई और एक बार फिर 2020 की यादें ताजा हो गईं।
इस भारी गिरावट के पीछे तीन प्रमुख कारण माने जा रहे हैं, जिनमें अमेरिका से जुड़ा बड़ा वैश्विक कारक सबसे प्रमुख है।
अमेरिका में ट्रेजरी बॉन्ड यील्ड में तेज उछाल देखा गया है। 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड 5% के करीब पहुंच गई, जो पिछले कई वर्षों का उच्चतम स्तर है। इसके साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें और लंबी अवधि तक ऊंची बनाए रखने के संकेत से वैश्विक जोखिम वाली संपत्तियों से पैसा निकलने लगा है।
इसका सीधा असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर पड़ा। विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से पैसा निकालना शुरू किया, जिससे बाजार में भारी बिकवाली हुई।
बीते कुछ हफ्तों में भारतीय बाजारों ने रिकॉर्ड स्तर को छुआ था, जिसके बाद FPI ने मुनाफावसूली शुरू कर दी। सितंबर के पहले तीन हफ्तों में ही विदेशी निवेशकों ने ₹12,000 करोड़ से अधिक के शेयर बेचे।
FPI द्वारा की गई इस बिकवाली से बाजार में तेजी से गिरावट आई, खासकर बैंकों, IT और मेटल सेक्टर में। इससे बाजार का संवेदी सूचकांक (Sentiment) और अधिक नकारात्मक हो गया।
भारतीय रुपया आज 1.2% कमजोर होकर ₹84.89 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। डॉलर की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण रुपये पर दबाव बना।
कमजोर रुपया विदेशी निवेश के लिए चिंता की वजह बनता है और यह आयात महंगाई और कॉरपोरेट्स की विदेशी उधारी पर भी असर डालता है। इसका प्रत्यक्ष असर शेयर बाजार में दिखा, जहां निवेशकों ने जोखिम से बचने के लिए बिकवाली को प्राथमिकता दी।
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सेंसेक्स दिनभर के कारोबार में लगभग 850 अंक तक टूटकर 80,359.93 पर बंद हुआ।
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निफ्टी 50, 24680 के स्तर तक फिसल गया, जो कि एक महत्वपूर्ण तकनीकी समर्थन के नीचे का स्तर है।
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बैंक निफ्टी भी 1.5% की गिरावट के साथ बंद हुआ।
सेक्टर | गिरावट (%) |
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बैंकिंग | -1.65% |
IT | -2.10% |
मेटल | -1.80% |
रियल एस्टेट | -1.35% |
फार्मा | +0.45% (थोड़ी तेजी) |
आईटी और बैंकिंग सेक्टर पर सबसे ज्यादा दबाव रहा, क्योंकि डॉलर में मजबूती और उच्च वैश्विक दरें इन सेक्टरों के लिए असंतुलन पैदा करती हैं।
आज की इस गिरावट में, निवेशकों को करीब ₹5 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। शेयर बाजार का कुल बाजार पूंजीकरण 400 लाख करोड़ से नीचे आ गया, जिससे रिटेल निवेशकों और म्यूचुअल फंड्स को भी तगड़ा झटका लगा।
मार्केट एक्सपर्ट अजय बघी का कहना है:
“यह गिरावट पूरी तरह से वैश्विक कारकों से प्रेरित है। फिलहाल निवेशकों को संयम बरतने की जरूरत है। किसी भी लंबी अवधि के निवेशक को घबराने की जरूरत नहीं है।”
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल का कहना है कि निफ्टी का अगला सपोर्ट लेवल 24,500 पर है। यदि वहां से रिकवरी नहीं होती तो बाजार में और गिरावट आ सकती है।
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यदि डॉलर में और मजबूती आई, तो बाजार और गिर सकता है।
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अमेरिकी GDP डेटा और महंगाई आंकड़े इस हफ्ते आने वाले हैं, जिनका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा।
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घरेलू मोर्चे पर, RBI की अक्टूबर बैठक में दरों को लेकर रुख स्पष्ट होगा, जो बाजार को दिशा दे सकता है।
शेयर बाजार की यह गिरावट दिखाती है कि वैश्विक कारक भारतीय बाजार को कितनी तेजी से प्रभावित कर सकते हैं। अल्पकालिक निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए, जबकि दीर्घकालिक निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का मूल्यांकन करते हुए मौके तलाशने चाहिए।