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भारत सरकार भारतीय वायुसेना को समय पर फाइटर जेट्स की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के ढांचे में सुधार की योजना बना रही है। इस कदम का उद्देश्य HAL की कार्यक्षमता बढ़ाना और सशस्त्र बलों को आवश्यक उपकरण समय पर प्रदान करना है।
HAL का वर्तमान परिदृश्य
HAL, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र का एक प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम है, भारतीय वायुसेना के लिए लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और अन्य एयरोस्पेस उपकरणों का निर्माण करता है। हाल के वर्षों में, HAL को उत्पादन क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से, तेजस Mk1A लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में देरी ने चिंता बढ़ाई है।
सरकार की पुनर्गठन योजना
सरकार HAL के मौजूदा ढांचे में सुधार के लिए एक रोडमैप तैयार कर रही है। इस योजना के तहत, HAL के विभिन्न विभागों को स्वतंत्र इकाइयों में विभाजित किया जा सकता है, जो विशिष्ट कार्यों पर केंद्रित होंगी। इससे उत्पादन प्रक्रिया में दक्षता बढ़ेगी और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
मेक इन इंडिया पहल और आत्मनिर्भरता
HAL के पुनर्गठन का उद्देश्य ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूत करना और स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ाना है। सरकार का मानना है कि HAL के ढांचे में सुधार से न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, बल्कि भारतीय वायुसेना को अत्याधुनिक और समय पर उपकरण भी मिलेंगे।
AMCA और तेजस Mk1A जैसे प्रोजेक्ट्स
HAL के पुनर्गठन के साथ-साथ, सरकार AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) और तेजस Mk1A जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमान परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। इन परियोजनाओं के तहत, HAL और निजी क्षेत्र की कंपनियाँ मिलकर अत्याधुनिक तकनीक वाले विमान विकसित करेंगी, जो भारतीय वायुसेना की ताकत को और बढ़ाएंगे।
HAL का पुनर्गठन भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल उत्पादन क्षमता में वृद्धि करेगा, बल्कि भारतीय वायुसेना को समय पर और उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण भी उपलब्ध कराएगा। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।








