




AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर से केंद्र सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर सवाल उठाए हैं। मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि पाहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को करारा जवाब देने का जो सुनहरा मौका था, उसे सरकार ने गवां दिया।
ओवैसी का यह बयान उस समय आया है जब देश में आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग तेज हो रही है, और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों पर आम जनता में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा:
“पाहलगाम में हमारे सैनिकों पर जो हमला हुआ, वह न सिर्फ एक आतंकी कार्रवाई थी, बल्कि पाकिस्तान की ओर से एक चुनौती थी। ऐसे समय में देश की जनता और सेना दोनों उम्मीद कर रही थी कि सरकार जवाबी कार्रवाई करेगी। लेकिन अफसोस, ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मौके पर “राजनीतिक चुप्पी” बनाए रखी और एक मजबूत सैन्य संदेश देने का मौका गवां दिया।
ओवैसी ने अपने बयान में हाल ही में भारत-पाकिस्तान सीमा पर देखी गई ड्रोन गतिविधियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि:
“गुजरात से लेकर जम्मू-कश्मीर तक पाकिस्तान की तरफ से लगातार ड्रोन भेजे जा रहे हैं। ये ड्रोन न केवल निगरानी कर रहे हैं, बल्कि हथियार और गोला-बारूद की तस्करी में भी शामिल हैं। सरकार को इन घटनाओं को लेकर सतर्क रहना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल रहा है।”
ओवैसी ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह सिर्फ चुनावों के दौरान ही पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश दिखाती है, लेकिन असल में कोई ठोस रणनीति नहीं है। उन्होंने कहा कि:
“सरकार सिर्फ भाषणों में पाकिस्तान को जवाब देती है। जमीनी हकीकत यह है कि हमले हो रहे हैं, जवान शहीद हो रहे हैं और जवाब में सिर्फ मौन या कड़ी निंदा आ रही है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सवाल भी किया कि आखिर क्या कारण है कि पाहलगाम जैसे गंभीर हमले के बाद भी कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी गई?
सितंबर 2025 में जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम इलाके में आतंकी हमला हुआ था जिसमें सुरक्षाबलों के कई जवान शहीद हुए थे। यह हमला तब हुआ जब सीमा पर पहले से ही तनाव का माहौल था और पाकिस्तान की ओर से कई बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया जा चुका था।
हमले की जिम्मेदारी एक पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन ने ली थी। इसके बाद देशभर में विरोध और आक्रोश देखा गया। बावजूद इसके सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई सैन्य प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे अब विपक्ष सवाल उठा रहा है।
ओवैसी के बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग सरकार की रणनीति को समर्थन दे रहे हैं और मानते हैं कि संयम सबसे अच्छा विकल्प है, जबकि अन्य लोग यह मानते हैं कि आतंकवाद के खिलाफ अब और नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।
हालांकि भाजपा की तरफ से इस बयान पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि:
“ओवैसी जैसे नेता हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भ्रम फैलाने का काम करते हैं। सरकार रणनीति के तहत काम करती है, न कि भावनाओं में बहकर।”
असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान सरकार की पाकिस्तान नीति और आतंकवाद के खिलाफ रुख पर एक बार फिर बहस को जन्म देता है। एक ओर जहां वह सरकार पर ‘मौका गंवाने’ का आरोप लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि क्या भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति में और आक्रामक होना चाहिए?