




कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के प्रसिद्ध कतेल में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला दशावतार यक्षगाना मेला भारतीय लोक संस्कृति और नाट्य कला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मेला सदियों पुराना है और अपनी समृद्ध परंपरा के कारण न केवल कर्नाटक में बल्कि पूरे देश में सांस्कृतिक महत्व रखता है। इस बार 16 नवंबर 2025 को इस मेले की सातवीं प्रदर्शन मंडली का शुभारंभ होने जा रहा है, जो एक बड़ी उपलब्धि और नई उम्मीद लेकर आई है।
यक्षगाना एक पारंपरिक नाट्य कला है, जिसमें भारतीय पुराणों की कथाओं को नृत्य, संगीत, अभिनय और रंगीन वेशभूषा के माध्यम से जीवंत किया जाता है। कतेल का दशावतार यक्षगाना मंडली विशेष रूप से भगवान विष्णु के दस अवतारों की कहानियों को दर्शकों के सामने प्रस्तुत करता है। यह कला न केवल मनोरंजन करती है, बल्कि धार्मिक और नैतिक शिक्षा भी प्रदान करती है।
कतेल यक्षगाना मेले की सातवीं मंडली की शुरुआत से पहले की छह मंडलियां वर्षों से इस लोक कला को संरक्षित और प्रसारित करती आई हैं। हर मंडली के कलाकार अपनी कला में पारंगत होते हैं और वे दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले नाट्य प्रस्तुतियां देते हैं।
नई मंडली के शुरू होने से इस मेले में प्रदर्शन की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे दर्शकों को अधिक अवसर मिलेंगे और उनकी प्रतीक्षा अवधि भी कम होगी। वर्तमान में कतेल यक्षगाना मेले की ‘हराके’ शो की बुकिंग लगभग 15 वर्षों के लिए पूरी हो चुकी है, जो दर्शाता है कि इस कला के प्रति लोगों की गहरी लगन और मांग है।
कतेल यक्षगाना मेला न केवल एक सांस्कृतिक आयोजन है बल्कि यह कलाकारों को एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ वे अपनी कला को निखार सकते हैं और युवा पीढ़ी तक इसे पहुंचा सकते हैं। इसके माध्यम से हजारों युवा कलाकार पारंपरिक यक्षगाना को सीखते हैं और उसे अपनी प्रतिभा से सजाते हैं।
यह मेला कर्नाटक की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक है, जिसने दशकों से लोक कला को जीवित रखने का काम किया है। सांस्कृतिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से यह मेला निरंतर अपनी गरिमा बनाए हुए है।
सातवीं मंडली के शुभारंभ के लिए कतेल में व्यापक तैयारियां चल रही हैं। कलाकारों, निर्देशकों और आयोजकों ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है। स्थानीय समुदाय, कला प्रेमी और सांस्कृतिक प्रेमी इस आयोजन को लेकर उत्साहित हैं।
इस अवसर पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों और समारोहों का आयोजन भी किया जाएगा, जिससे लोक कला और भी ज्यादा लोकप्रिय होगी। यह मंडली आने वाले वर्षों में कतेल मेले के प्रदर्शन को और भी रंगीन और जीवंत बनाएगी।
हाल के वर्षों में यक्षगाना को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है। कई बार यह कला विदेशों में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा रही है। कतेल यक्षगाना मंडली भी समय-समय पर भारत के बाहर प्रदर्शन कर चुकी है और विश्वभर के दर्शकों से प्रशंसा प्राप्त की है।
इस प्रकार की परंपरागत कलाओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार जरूरी है ताकि ये कला रूप भविष्य में भी जीवित रह सकें और नई पीढ़ी उन्हें अपनाकर समृद्ध कर सके।
16 नवंबर 2025 को सदी पुराने कतेल यक्षगाना मेले में सातवीं मंडली के शुभारंभ से यह न केवल कतेल मेला बल्कि पूरे यक्षगाना जगत के लिए एक नया अध्याय शुरू होगा। यह कदम लोक कला के संरक्षण और प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके साथ ही यह दर्शकों को अधिक मनोरंजन और सांस्कृतिक समृद्धि का अवसर देगा।