




भारत सरकार ने डी-ऑयल्ड राइस ब्रान (De-oiled Rice Bran – DORB) के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है, जिससे पशुपालन, तेल प्रसंस्करण और कृषि निर्यात उद्योग से जुड़े हितधारकों को बड़ी राहत मिली है।
यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब इंडियन एडिबल ऑयल इंडस्ट्री और निर्यातक संघों, विशेषकर सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने सरकार से अपील की थी कि प्रतिबंध हटाकर घरेलू प्रोसेसरों की रक्षा की जाए और किसानों की आमदनी को बढ़ावा दिया जाए।
डी-ऑयल्ड राइस ब्रान चावल की भूसी से निकलने वाला एक उप-उत्पाद होता है, जिससे पहले तेल निकाला जाता है और फिर बचे हुए पदार्थ को पशु आहार (Cattle Feed) के रूप में उपयोग में लाया जाता है। यह प्रोटीन, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होता है और मवेशियों, मुर्गियों और मछलियों के आहार में बेहद उपयोगी साबित होता है।
सरकार ने 2022 में डी-ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। इसका मुख्य उद्देश्य था:
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घरेलू आपूर्ति को सुनिश्चित करना
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बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करना
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पशुपालकों को महंगे चारे से राहत देना
हालांकि, इससे कई तेल प्रसंस्करण इकाइयाँ और निर्यातक प्रभावित हुए थे। उनकी मांग थी कि जब घरेलू आपूर्ति पर्याप्त हो, तब निर्यात को फिर से खोला जाए।
सरकार ने मौजूदा स्थिति की समीक्षा के बाद यह पाया कि:
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घरेलू उत्पादन पर्याप्त है
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कीमतों में स्थिरता आ गई है
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निर्यातकों की मांग और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अवसर बढ़ रहे हैं
इसी के चलते विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर DORB के निर्यात को ‘फ्री’ श्रेणी में डाल दिया है। इसका मतलब है कि अब निर्यात बिना किसी प्रतिबंध के किया जा सकता है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा:
“यह बेहद स्वागतयोग्य कदम है। प्रतिबंध हटने से घरेलू तेल प्रसंस्करण इकाइयों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में लाभ मिलेगा और किसानों को भी बेहतर मूल्य मिलेगा।”
SEA का यह भी कहना है कि निर्यात से DORB के मूल्य में सुधार आएगा, जिससे चावल उत्पादकों और प्रसंस्करण इकाइयों की आय बढ़ेगी।
डी-ऑयल्ड राइस ब्रान की सबसे अधिक मांग इन देशों में है:
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बांग्लादेश
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वियतनाम
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नेपाल
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थाईलैंड
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मध्य एशिया
इन देशों में DORB को मुख्य रूप से पोल्ट्री फीड, डेयरी फीड और एक्वा फीड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। भारत, अपने विशाल चावल उत्पादन के कारण, इस क्षेत्र में एक मजबूत निर्यातक बन सकता है।
प्रतिबंध के कारण कई प्रोसेसिंग यूनिट्स में उत्पादन प्रभावित हुआ था। अब निर्यात फिर से शुरू होने से:
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बंद पड़ी इकाइयाँ दोबारा चालू हो सकती हैं
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निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे
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कृषि अपशिष्ट का बेहतर उपयोग होगा
डी-ऑयल्ड राइस ब्रान की कीमत में वृद्धि से किसानों को परोक्ष रूप से लाभ होगा क्योंकि चावल की भूसी का मूल्य बढ़ेगा। यह सरकार के उस लक्ष्य से मेल खाता है जिसमें 2025 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही गई थी।
हालांकि पशुपालकों के एक वर्ग ने चिंता जताई है कि निर्यात खुलने से घरेलू आपूर्ति कम हो सकती है और इससे चारा महंगा हो सकता है। इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि:
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स्थिति पर नजर रखी जाएगी
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जरूरत पड़ने पर निर्यात सीमाएं तय की जा सकती हैं
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घरेलू मांग प्राथमिकता बनी रहेगी
भारत सरकार द्वारा डी-ऑयल्ड राइस ब्रान पर से निर्यात प्रतिबंध हटाना एक रणनीतिक और दूरदर्शी निर्णय है। इससे न केवल तेल उद्योग और कृषि व्यापार को बल मिलेगा, बल्कि यह भारत को वैश्विक बाजार में एक प्रमुख पशु आहार निर्यातक के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।