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    ट्रंप प्रशासन के दबाव में Apple ने हटाए ICE ट्रैकिंग ऐप्स, उठे निजता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल

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    टेक्नोलॉजी दिग्गज Apple ने अमेरिका में इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) अधिकारियों की गतिविधियों को ट्रैक करने वाले ऐप्स को अपने ऐप स्टोर से हटा दिया है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से मिली शिकायतों के बाद लिया गया।

    Apple ने गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि उसने लोकप्रिय ऐप ICEBlock समेत कई अन्य समान ऐप्स को प्लेटफॉर्म से हटा दिया है। यह ऐप्स उपयोगकर्ताओं को ICE अधिकारियों की उपस्थिति के बारे में सतर्क करते थे।

    ICEBlock एक क्राउडसोर्सिंग ऐप था जिसे अमेरिका के कुछ इलाकों में अप्रवासी समुदायों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था।
    इस ऐप के माध्यम से उपयोगकर्ता एक-दूसरे को सूचना देते थे कि किस इलाके में ICE अधिकारी मौजूद हैं या रेड कर रहे हैं

    • यह डेटा सीमित समय तक ही उपलब्ध रहता था।

    • ऐप कोई निजी जानकारी स्टोर नहीं करता था

    • इसका उद्देश्य समुदायों को सतर्क करना और अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना था।

    ट्रंप प्रशासन की ओर से Apple को सूचित किया गया कि ऐसे ऐप्स कानून व्यवस्था में बाधा डालते हैं और अवैध अप्रवासियों को छिपने में मदद करते हैं।
    एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इन ऐप्स का उपयोग हमारे एजेंटों की पहचान और सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है।”

    इसके बाद Apple ने इन ऐप्स की नीतियों और नियमों की समीक्षा की और उन्हें प्लेटफॉर्म से हटाने का निर्णय लिया।

    ICEBlock के डेवलपर्स ने Apple के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह डिजिटल सेंसरशिप का एक स्पष्ट उदाहरण है।

    डेवलपर्स ने कहा,
    “हमने ऐसा कोई नियम नहीं तोड़ा। हमारा उद्देश्य केवल समुदायों को सुरक्षित रखना और उन्हें अधिकारों के बारे में जानकारी देना था। यह कदम हमारी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है।”

    डिजिटल अधिकार संगठनों जैसे Electronic Frontier Foundation (EFF) और Fight for the Future ने भी Apple के इस फैसले की निंदा की और इसे राजनीतिक दबाव में लिया गया फैसला बताया।

    Apple पहले भी कई बार इस तरह के निर्णय ले चुका है।

    • हांगकांग में Apple ने एक ऐप हटाया था जो प्रदर्शनकारियों को पुलिस की मूवमेंट की जानकारी देता था।

    • रूस और चीन में भी सरकार के दबाव में ऐप्स हटाए जा चुके हैं।

    इन मामलों में हर बार तकनीकी स्वतंत्रता बनाम सरकारी हस्तक्षेप की बहस तेज़ हो जाती है।

    तकनीकी और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकारें ऐसे ऐप्स को बंद कराने में सफल होती रहीं, तो भविष्य में फ्री स्पीच, सोशल जस्टिस, और डिजिटल प्रोटेक्शन के क्षेत्र में कार्यरत कई प्लेटफॉर्म को बंद किया जा सकता है।

    प्रसिद्ध साइबर लॉ एक्सपर्ट राजीव रंजन कहते हैं:
    “जब टेक्नोलॉजी कंपनियाँ राजनीतिक दबाव में आकर अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रतिबंध लगाती हैं, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए ख़तरा बन जाता है।”

    डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान अप्रवासियों के खिलाफ कड़े कानून और ICE की कार्रवाई काफी बढ़ी है।
    इस प्रकार के ऐप्स उनके एजेंडे में रुकावट माने जा रहे हैं।

    विश्लेषकों का मानना है कि Apple पर दबाव बनाकर ट्रंप प्रशासन ने अप्रवासी समुदायों की संरक्षा तंत्र को कमजोर करने की कोशिश की है।

    Apple द्वारा ICE ट्रैकिंग ऐप्स को हटाने का फैसला केवल एक तकनीकी अपडेट नहीं है, बल्कि यह एक वैचारिक संघर्ष की ओर इशारा करता है।
    यह संघर्ष है — टेक कंपनियों की जवाबदेही, राजनीतिक दबाव, और नागरिक अधिकारों के बीच।

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