




भारतीय हस्तशिल्प और परंपराओं को संजोने वाले 78 वर्षीय गांधीग्राम ट्रस्ट ने चेन्नई स्थित प्रतिष्ठित लेबल कावेरी के साथ साझेदारी कर खादी को एक नया और आधुनिक अवतार दिया है। इस सहयोग के तहत खादी को पारंपरिक ढांचे से हटाकर फैशन की नई दुनिया में उतारा गया है, जिससे यह युवा वर्ग के बीच भी लोकप्रिय हो रही है।
खादी, जो वर्षों तक अपने पारंपरिक और ग्रामीण रूप में जानी जाती थी, अब इंडियन और इंटरनेशनल फैशन डिज़ाइनरों की पहली पसंद बन चुकी है। भारत के जाने-माने डिज़ाइनर राजेश प्रताप सिंह और शनि हिमांशु ने खादी को एक आधुनिक, कॉन्टेम्पररी अंदाज दिया है। इसके अलावा, ब्रिटिश फैशन डिज़ाइनर विवियन वेस्टवुड ने भी मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया में अपने पहले शोज़ में खादी को बड़े पैमाने पर प्रदर्शित किया।
इस वर्ष मार्च में, फेशन डिज़ाइन काउंसिल ऑफ इंडिया ने डिज़ाइनर समंत चौहान और खादी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ मिलकर मॉस्को फैशन वीक में भी खादी आधारित महिलाओं के वस्त्रों का शानदार प्रदर्शन किया, जिससे यह बात साफ हो गई कि खादी केवल एक वस्त्र नहीं बल्कि एक ग्लोबल फैशन ट्रेंड बन चुका है।
गांधीग्राम ट्रस्ट की यह पहल खादी को नई पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। चेन्नई की कावेरी लेबल के साथ मिलकर तैयार की गई डिजाइनों ने पारंपरिक खादी को न केवल आधुनिक बनाया बल्कि उसकी ऐतिहासिक विरासत को भी संरक्षित रखा।
इस सहयोग में खादी के प्राकृतिक रंगों और हाथ से बुने गए सूत की नाजुकता को ध्यान में रखते हुए नए और आकर्षक डिज़ाइन तैयार किए गए हैं, जो फैशन के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाते हैं।
खादी केवल कपड़ा नहीं, बल्कि भारत की आज़ादी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। गांधीजी के स्वदेशी आंदोलन की जान रही इस वस्तु ने न केवल भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया, बल्कि देश की सांस्कृतिक पहचान भी बन गई।
आधुनिक दौर में खादी को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए यह आवश्यक था कि इसे युवाओं की रुचि के अनुसार ढाला जाए, जो गांधीग्राम ट्रस्ट ने कावेरी के सहयोग से बखूबी किया है।
खादी के इस नए रूप ने फैशन इंडस्ट्री में खासी हलचल मचा दी है। न केवल भारतीय डिजाइनर बल्कि अंतरराष्ट्रीय फैशन जगत भी खादी की तरफ आकर्षित हो रहा है। यह ना केवल परिधान की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक कदम है।
फैशन विशेषज्ञों ने इस पहल की खूब सराहना की है। उनका मानना है कि खादी को यदि सही दिशा में आधुनिक रूप दिया जाए तो यह विश्व स्तर पर भारतीय हस्तशिल्प का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
कावेरी लेबल की संस्थापक ने कहा, “गांधीग्राम ट्रस्ट के साथ हमारा यह सहयोग हमारे लिए गर्व की बात है। हम खादी को एक ग्लोबल ब्रांड बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं और इसे फैशन के नये ट्रेंड में शामिल कर रहे हैं।”
गांधीग्राम ट्रस्ट और कावेरी लेबल के इस सहयोग ने खादी को सिर्फ एक कपड़े से कहीं आगे बढ़ाकर उसे फैशन, संस्कृति और पर्यावरण का प्रतीक बना दिया है। यह पहल भारतीय हस्तशिल्प के संरक्षण के साथ-साथ युवाओं में खादी के प्रति नयी ऊर्जा और जागरूकता भी लाएगी।