




भारतीय भोजन संस्कृति में चीज़ का प्रयोग अब सिर्फ किसी विदेशी व्यंजन तक सीमित नहीं है। Moonrocket Cheese नामक स्टार्टअप, जिसका नेतृत्व मोनिषा इन्दुलेखा करती हैं, इन दिनों अपनी अनोखी आर्टिसनल चीज़ रेंज के लिए चर्चा में है। मोनिषा ने स्वादों के साथ प्रयोग कर यह दिखाया है कि भारतीय डेयरी उद्योग में नवाचार और स्थानीय स्वाद मिलकर अद्वितीय चीज़ उत्पाद बना सकते हैं।
मोनिषा इन्दुलेखा ने बताया कि उनकी चीज़‑प्रेम की शुरुआत तब हुई जब वे बचपन में अपने पिता द्वारा लाया गया टिन्ड Kraft चीज़ स्वाद लेकर चखी थीं। पश्चिम एशिया में काम करते समय पिता से लाई गई यह चीज़ तीखी और नई थी, जिसने उन्हें चीज़ की दुनिया में रुचि जगाई। बाद में एक भारतीय शादी के दौरान इटली जाने पर उन्होंने मोज़ेरेला चीज़ ताज़ा, बैरल से निकली हुई चखी — यह अनुभव उनके लिए “defining moment” बन गया।
उस समय (लगभग 2016) भारत में चीज़ बनाने की प्रक्रिया सीखना आसान नहीं था। संसाधनों की कमी, बाजार की सीमित स्वीकार्यता, और तकनीकि ज्ञान की अनुपस्थिति ने मोनिषा को चुनौतियों से दो‑दो कर लिया। लेकिन उनकी प्रेरणा और जुनून ने उन्हें पीछे नहीं हटने दिया।
Moonrocket Cheese Private Limited को 24 दिसंबर 2019 को कोझिकोड के एरणिपालम इलाके में पंजीकृत किया गया। इसके प्रबंधन निदेशक मोनिषा इन्दुलेखा हैं, और कंपनी माइक्रो‑उद्यम की श्रेणी में आती है। कंपनी का कार्यालय Sarada Hospital, Chakkorathkulam, Eranhipalam Kacheri, Kozhikode में स्थित है।
कंपनी की प्रमुख उत्पाद रेंज में ताज़ा Mozzarella ब्लॉक्स, फ़्लेवर्ड Feta चीज़, बिना संरक्षक (preservatives) के हाथों बनाई गई चीज़ें शामिल हैं। उदाहरण के लिए, Moonrocket की “Flavoured Feta Cheese 150g” और “Fresh Mozzarella 150g ब्लॉक” जैसे उत्पाद तमिलनाडु में Chennai Grocers जैसे स्टोर्स पर उपलब्ध हैं।
मोनिषा ने चीज़ के स्वाद और भारतीय स्वाद जगत के बीच पुल बनाने की कोशिश की है। उनके प्रयोगों में कंथारी मिर्च फ्लेवर्ड चीज़ एक प्रमुख उदाहरण है — यह स्वाद के साथ तीखा अनुभव देता है, जिसे मसालों और स्थानीय कसौटी पर पखा गया है।
इसके अलावा उनके उत्पादों में यह विशेषताएँ देखी जाती हैं:
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गाय के दूध का इस्तेमाल
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संरक्षक एवं कृत्रिम रसायन न्यूनतम या न के बराबर
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स्थानीय मसाले, जड़ी‑बूटी व स्वादों का चयन
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छोटे बैच (small‑batch) उत्पादन ताकि गुणवत्ता बनी रहे
Moonrocket Cheese जैसी कंपनियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
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कोल्ड चेन (शीत श्रृंखला) की कमी — चीज़ संवेदनशील उत्पाद है; सही तापमान न होने से गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
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उपभोक्ता जागरूकता की कमी — बहुत से उपभोक्ता पारंपरिक चीज़ (पनीर आदि) के अलावा चीज़ को अनुभव ही नहीं करते।
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उच्च उत्पादन लागत — छोटे बैच, विशेष फ्लेवर्स और मसालों के समावेश से लागत अधिक होती है।
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वित्तीय संसाधन एवं वितरण चुनौती — सीमित पूंजी एवं वितरण नेटवर्क की कमी उत्पाद पहुंच को बाधित करती है।
Moonrocket Cheese ने शुरूआती वर्षों में स्थानीय स्तर पर स्वीकार्यता हासिल की है। उनके उत्पाद अब कुछ मेट्रो शहरों के गोरमेट स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफार्मों में उपलब्ध हैं।
विशेष रूप से, उनका फलेवर्ड Feta चीज़ और ताज़ा Mozzarella ब्लॉक ग्राहकों में लोकप्रिय हो रहे हैं। स्थानीय स्वादों के प्रयोग उनके लिए एक ब्रांड पहचान बना रहे हैं।
भविष्य की योजनाओं में यह शामिल है कि चीज़ निर्माण कार्यशालाएँ (cheesemaking workshops), चीज़‑प्लेलेट (cheese platters) ओ पनीर प्रेमियों के लिए इवेंट्स, और एक्सपोर्ट की दिशाएँ भी देखें जाएँ।
भारत में दूध उत्पादन की परंपराएँ गहरी हैं, लेकिन चीज़ खाने की संस्कृति व्यापक रूप से प्रचलित नहीं थी। अब चीज़ प्रेमी केवल आयातित चीज़ों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर बनी चीज़ों को आज़मा रहे हैं। Moonrocket Cheese जैसा उद्यम इस बदलाव का हिस्सा है।
मोनिषा का अनुभव यह दिखाता है कि कैसे व्यक्तिगत जुनून, चाव और विदेशी अनुभव़ों की मिलीजुली प्रेरणा से एक स्टार्टअप इंडस्ट्री जन्म लेती है, जो सिर्फ स्वाद नहीं बल्कि जीवनशैली और खाद्य संस्कृति को प्रभावित करती है।
Moonrocket Cheese और मोनिषा इन्दुलेखा की कहानी भारतीय स्टार्टअप और खाद्य नवाचार की दिशा में आशा जगाती है। यह दिखाती है कि भारतीय स्वाद और स्थानीय सामग्री मिलकर विश्व स्तरीय चीज़ उत्पाद किए जा सकते हैं।
अगर अन्य चीज़ ब्रांड्स की तरह इनकी रचनात्मकता और गुणवत्ता बनी रहे, तो Moonrocket Cheese भारतीय चीज़ बाज़ार में अपने लिए एक स्थायी स्थान बना सकती है।