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    जुबिन गर्ग मौत मामले में आयोजक श्याम कानू महंता ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी जान, अंग-प्रत्यंग और स्वतंत्रता की सुरक्षा

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    असम के मशहूर गायक जुबिन गर्ग की सिंगापुर में हुई अप्रत्याशित मौत के बाद विवादों का दौर जारी है। इस बीच जुबिन गर्ग के एक प्रमुख कार्यक्रम के आयोजक श्याम कानू महंता ने शुक्रवार (3 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जान, अंग-प्रत्यंग और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग की है।

    श्याम कानू महंता ने अपनी याचिका में बताया कि वे वर्तमान में एक सुनियोजित राजनीतिक उत्पीड़न का शिकार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जान-माल का गंभीर खतरा है और स्थानीय प्रशासन उनकी सुरक्षा में असफल रहा है। इस कारण उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से अपनी सुरक्षा के लिए तत्काल सुनवाई करने की गुहार लगाई है।

    जुबिन गर्ग की मौत के बाद स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। इस मामले ने व्यापक सामाजिक और राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। श्याम कानू महंता के अनुसार, वह इस माहौल में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उनके खिलाफ लगातार मनगढ़ंत आरोप लगाए जा रहे हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की गंभीरता को देखते हुए मामले की प्राथमिकता पर सुनवाई करने का आश्वासन दिया है। कोर्ट ने असम सरकार और पुलिस प्रशासन से जवाब मांगा है कि आयोजक की सुरक्षा के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। यह सुनवाई आगामी हफ्तों में हो सकती है, जिसमें कोर्ट सुरक्षा के लिए विशेष निर्देश जारी कर सकता है।

    असम सरकार ने मामले पर कहा है कि सुरक्षा को लेकर हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। सरकार ने यह भी कहा कि श्याम कानू महंता की सुरक्षा उनके ध्यान में है और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

    जुबिन गर्ग मौत केस ने असम की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। इस विवाद ने तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है। ऐसे में आयोजक की सुरक्षा की मांग न केवल एक कानूनी मामला बन गई है बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी इसे अहम माना जा रहा है।

    कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, हर व्यक्ति का अधिकार होता है कि उसकी जान, शरीर और स्वतंत्रता की रक्षा की जाए। यदि किसी को खतरा महसूस होता है, तो प्रशासन की जिम्मेदारी होती है कि वह उचित सुरक्षा प्रदान करे। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुरक्षा के मानक स्थापित कर सकता है और भविष्य के लिए मार्गदर्शन भी दे सकता है।

    आगामी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट आयोजक की सुरक्षा, प्रशासन की जवाबदेही और मामले की जांच की गहराई से समीक्षा करेगा। संभव है कि कोर्ट सुरक्षा के लिए सख्त आदेश जारी करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह मामला असम और पूरे देश के लिए सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की मजबूती का उदाहरण बन सकता है।

    जुबिन गर्ग मौत मामले में त्योहार आयोजक श्याम कानू महंता की सुरक्षा मांग केवल एक व्यक्तिगत सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह न्यायपालिका, प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी को परखने वाला एक महत्वपूर्ण प्रश्न भी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न केवल इस मामले में न्याय मिलेगा, बल्कि आने वाले समय में ऐसे संवेदनशील मामलों के निपटारे के लिए दिशा-निर्देश भी तय होंगे।

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